एक ऐसा कब्रिस्तान जहां शुबह में “मॉर्निंग वॉक” और “घूमने” आते है लोग, एक सोच ने कब्रिस्तान को बदला पार्क में

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गया।पार्क और हरियाली के बीच सुबह–सुबह मॉर्निंग वॉक करने आए देख आपको लगेगा की यह पार्क है लेकिन हकीकत जान आपके भी होश उड़ जाएंगे। दरअसल गया जिले के करीमगंज मोहल्ले का एक कब्रिस्तान है जहां मुस्लिम समुदाय के लोगो की मृत्यु होने के बाद दफन किया जाता है। कब्रिस्तान का नाम सुनते हीं लोग डर जाते है लेकिन यहां इस खूबसूरत कब्रिस्तान का नाम सुनते और यहां आते हीं लोगो के चेहरे खिल जाते है। पहले यहां असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता था मगर मोहल्ले वालो ने इसे मिलकर एक सुंदर पार्क का रूप दे दिया जिसके बाद से यंहा पर लोग शुबह में मॉर्निंग वॉक करने आते है और शाम के समय समय मिलने पर इस कब्रिस्तान में घूमने चले आते है करीमगंज मोहल्ले के समाज सेवी अबरार अहमद को एक सोच आया की जीवित में सभी लोग अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस, मार्बल, टाइल्स लगे मकान में रहते है लेकिन जिंदगी का आखिर घर कब्रिस्तान जहां कोई व्यवस्था नहीं होती है। मिट्टी के अंदर दफन कर दिया जाता है। यही सोच ने आज कब्रिस्तान को एक पार्क के रूप में विकसित कर दिया है। कब्रिस्तान का चाहरदीवारी, पार्क आदि पर लाखो रुपए खर्च कर सुंदर पार्क के रूप में बनाया गया है। आज यहां सुबह होते हीं लोग मॉर्निंग वॉक करने आ जाते है। 150 साल से अधिक पुराना कब्रिस्तान है। कभी कोई सोचा नहीं होगा की कब्रिस्तान भी सुंदर हो सकता है। पार्क की देखरेख के लिए माली और कर्मचारी की प्रतिनियुक्त किया गया है।वंही करीमगंज मोहल्ले के रहने वाले समाज सेवी अबरार अहमद ने बताया की यह कब्रिस्तान 150 सौ साल पुराना है और इस कब्रिस्तान की हालत पहले ठीक नहीं था और नाही यंहा पर किसी प्रकार की सुविधा थी मगर हम सभी मोहल्ले के लोग और कब्रिस्तान के सचिव ने मिलकर इस कब्रिस्तान को एक पार्क की तरह बना दिया है जंहा पर लोग शुबह में अपने पूर्वजो के नाम से फातिया भी पढ़ लेते है और मॉर्निंग वॉक भी करते है इस कब्रिस्तान को इतना अच्छा बनाने में सभी लोगो का सहयोग मिला है और उसका नतीजा यह है कब्रिस्तान के सचिव जमीर आलम ने बताया की इस मोहल्ले में कोई पार्क नही है। तो ऐसे में यह कब्रिस्तान पार्क का भी काम करता हैं। सुबह–सुबह मॉर्निंग वॉक के साथ–साथ इबादत और फातिया का भी काम हो जाता है पहले इस कब्रिस्तान का हालत बहुत ही बुरा था यंहा पर न तो चारदीवारी थी और नाही पानी की व्यवस्था था मगर अब सब कुछ है इस कब्रिस्तान में आने के लिए किसी को रोक नहीं लगा है कोई भी व्यक्ति आ सकते है और जो मुस्लिम समुदाय के लोग है वह कंही के भी हो यंहा पर अपने मृत लोगो का मट्टी मंजिल कर सकते है यंहा पर किसी तरह का रोक नहीं लगा हुआ है इस कब्रिस्तान के देखभाल के लिए क्रमचारी भी को रखा गया है जो इस कब्रिस्तान का देखभाल करते है आज यह कब्रिस्तान ीनता अच्छा हो ,वंही शुबह में कब्रिस्तान में मॉर्निंग वॉक करने आये लोगो ने बताया की हमलोग शुबह में कब्रिस्तान में मॉर्निंग वॉक करने आते है और यंहा पर शुबह में फातिया भी पढ़ लेते है और यह बिहार का पहला कब्रिस्तान है जो न सुन्दर और अच्छा है तथा यंहा की व्यवस्था भी बढ़िया है यह कब्रिस्तान बहुत पुराना है मगर आज यह इस स्थिति में है की कब्रिस्तान कम और पार्क ज्यादा लगता है

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