धनबाद / शहर के कोविड-19 वैक्सीनशन सेंटर में अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के अवसर पर चिकित्सकों व नर्सों ने केक काटा। मौके पर डॉ राणा ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस के मौके पर वह नर्सों को बधाई बधाई दे रहे हैं। जिन्होंने इस वैश्विक महामारी कोरोना काल मे अपने अथक मेहनत और निश्छल व्यवहार से लोगों को मौत के मुंह से निकालने का काम कर रही है। ऐसे में हम चिकित्सक भी इन नर्सों के बगैर अधूरे हैं। इनकी मेहनत से ही मरीजों को हम स्वस्थ कर पाते हैं। अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के अवसर पर सभी नर्सों को चिकित्सकों की तरफ से ढेर सारी बधाई देते हैं।
क्यों मनाया जाता है ‘अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस’ : हर साल 12 मई को इंटरनेशनल नर्स डे यानी अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है। यह दिन हर साल फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्मदिन की वर्षगांठ के तौर पर मनाया जाता है। फ्लोरेंस नाइटिंगेल को विश्व की पहली नर्स कहा जाता है। उन्होंने क्रीमियन युद्ध के दौरान लालटेन लेकर घायल ब्रिटिश सैनिकों की देखभाल की थी। इस वजह से इन्हें लेडी विद द लैंप भी कहा गया। मरीज की जिंदगी बचाने में जितना योगदान डॉक्टर्स का होता है, उतना ही एक नर्स का। नर्स अपनी परवाह किए बिना मरीज की तन-मन से सेवा कर उनकी जान बचाती है। अपने घर और परिवार से दूर रहकर मरीजों की दिन रात सेवा करती है। नर्सों के साहस और सराहनीय कार्य के लिए यह दिवस मनाया जाता है।
नर्सिंग के संस्थापक फ्लोरेंस नाइटइंगेल का जन्म 12 मई, 1820 को हुआ था। इस दिन उनको याद किया जाता है। सबसे पहले इस दिवस की शुरुआत साल 1965 में की गई थी। तब से लेकर आज तक यह दिवस इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्सेज द्वारा अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत देश में इसकी शुरुआत 1973 में परिवार एंव कल्याण विभाग ने की थी। पुरस्कार से नर्सों की सराहनीय सेवा को मान्यता प्रदान किया जाता है। पुरस्कार हर साल देश के राष्ट्रपति द्वारा दिया जाता है। फ्लोरेंस नाइटिंगल पुरस्कार में 50 हज़ार रुपए नकद, एक प्रशस्ति पत्र और मेडल दिया जाता है।