पुनम शर्मा द्वारा रचित कविता असली दहेज

असली दहेज

बेटी को शिक्षित करना ही उसका असली दहेज है,
अपने पैरों पर खड़ी होगी,
घर परिवार समाज संवारेगी,
खुशियों के फूल खिलते रहेंगे
मां बाप का बुढ़ापा संवरेगा,
यही तसल्ली बख्श दहेज है,
पैसे का दहेज तो खोखला कर जाता है मां बाप को,
बेटी को भी एहसास करा जाता है कि
वो आज भी बोझ है
घर समाज पर,,,,
दहेज का विरोध करें,
घर समाज का सम्मान करें,
जय हो हमारी संस्कृति

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