सीयूएसबी में मनाया गया सॉफ्टवेयर स्वतंत्रता फ्रीडम डे

गया।ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ बिहार (सीयूएसबी) के कंप्यूटर साइंस विभाग ने सॉफ्टवेयर फ्रीडम डे का आयोजन किया गया है। सीयूएसबी के जन संपर्क पदाधिकारी पीआरओ ने बताया कि कार्यक्रम का आयोजन कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह के संरक्षण में विभागाध्यक्ष डॉ. प्रभात रंजन की देखरेख में किया गया है। इस कार्यक्रम में विभाग के संकाय सदस्य डॉ. जयनाथ यादव, डॉ. नेमी चंद्र राठौड़, डॉ. पीयूष कुमार सिंह के साथ शोधार्थी और विभाग के छात्र उपस्थित थे।अपने संबोधन में विभागाध्यक्ष डॉ. प्रभात रंजन ने कहा कि सॉफ्टवेयर फ्रीडम का संबंध सॉफ्टवेयर के स्वतंत्र उपयोग, अध्ययन, वितरण एवं संशोधन से है। यह सर्वविदित है कि ओपन सोर्स या ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर उस सॉफ्टवेयर को कहा जाता है जिसका सोर्स कोड सभी के लिए खुला होता है। ओपन सोर्स सॉफ़्टवेयर का कोड निःशुल्क उपलब्ध कराया जाता है और कोई भी व्यक्ति इसे बदल, संशोधित या इसके विकास में योगदान दे सकता है या इसे अपने काम में निःशुल्क उपयोग कर सकता है। डॉ. रंजन ने कहा, विश्व स्तर पर ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर के बारे में जनता के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए हर साल सॉफ्टवेयर स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है।डॉ. जयनाथ यादव, एसोसिएट प्रोफेसर ने कहा कि ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर के प्रति जनता को जागरूक करने के लिए ऐसे कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। डॉ. नेमी चंद्र राठौड़, असिस्टेंट प्रोफेसर ने सॉफ्टवेयर फ्रीडम डे की अवधारणा को समझाते हुए कहा कि दुनिया भर में कई संगठन हैं जो ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर बनाते और वितरित करते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को भविष्य में ऐसे संस्थानों से जुड़ने और लोगों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए भी प्रेरित किया। डॉ. पीयूष कुमार सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर ने छात्रों को अपने संबोधन में कहा कि ज्ञान बांटने से बढ़ता है, इसलिए मुझे आशा है कि आप भी ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर विकसित करेंगे और देश की समृद्धि में अपना अमूल्य योगदान देंगे।इस अवसर पर विभाग द्वारा क्विज प्रतियोगिता, कोडिंग प्रतियोगिता, पोस्टर प्रेजेंटेशन प्रतियोगिता, डिस्ट्रो प्रदर्शनी प्रतियोगिता जैसी विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया है। प्रतियोगिताओं के विजेताओं को विभाग के संकाय सदस्यों द्वारा पुरस्कार और प्रमाण पत्र दिए गए हैं। गुरुग्राम स्थित अल्गोरिस्तान रिसर्च संस्था ने कार्यक्रम के सभी विजेताओं और प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए।

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