हिन्दूवादी संगठन का आरोप न्यास पर्षद के सहारे सरकार राजनीतिक तुष्टिकरण कर रही।न्यास पर्षद का कहना है कि धार्मिक आस्था को स्वच्छ बना रही
देवेंन्द्र शर्मा की रिपोर्ट
रांची: झारखंड राज्य हिन्दु धार्मिक न्यास पर्षद के द्वारा हाल ही में तीन प्रमुख मंदिर धार्मिक स्थल की संचालित कमिटि को भंग कर नये सिरे से कमिटी के गठन किये जाने और नयी कमिटि में कांग्रेस और झा मु मो नेताओं के मनोनयन से प्रदेश में भूचाल की स्थिति नजर आ रही है ।जहां एक ओर न्यास पर्षद के अध्यक्ष जयशंकर पाठक का कहना है कि मंदिर धार्मिक स्थलों की पवित्रता, एकाधिकार को समाप्त कर धार्मिक भावना को स्वच्छ कर उसे आम लोगो के लिए आस्था और विश्वास जागृत करना है वहीं भाजपा समेत हिन्दूवादी संगठन ने इसे राजनीतिक षडयंत्र के तहत तुष्टिकरण की संज्ञा बता रहा है।भाजपा का यह गंभीर आरोप है कि झारखंड सरकार धार्मिक न्यास पर्षद के सहारे सनातन धर्म पर हमला कर साधु-संत का अनादर कर उन्हे मंदिर से बाहर कर प्रताड़ित करने की योजना शुरु किया है ।
पर्षद के अध्यक्ष जयशंकर पाठक का कहना है कि मंदिर धार्मिक स्थल पर एकाधिकार स्वामित्व की समाप्ति की जा रही है ।मंदिर और उनकी सम्पति पर गिरोह का कब्जा हटाकर उसे आम लोगो के लिए आस्था और विश्वास दिलाया जा रहा है।जो झारखंड की पुर्व भाजपा सरकार ने नही किया उसे पुरा किया जा रहा।धार्मिक स्थल की भूमि को लुट से बचाने का काम न्यास पर्षद नियमानुसार कर रही है ।यह अभियान पुरे राज्य में चला कर मंदिर की गरिमा की रक्षा की जायेगी।
अब सबाल यह उठ रहा है कि मंदिर धार्मिक स्थल कमिटी के नये सिरे से किसे लाभ और किसको हानि होने वाली है।न्यास पर्षद के इस निर्णय से हिन्दु समुदाय के लोगो में क्या नाराजगी है?।सवाल यह उठ रहा है कि कमिटी में दो राजनीतिक दल के नेताओं को क्यु शामिल किया गया ।क्यु नही कमिटी में धार्मिक आस्था से जुड़े सभी वर्ग के लोगो को शामिल किया गया।क्या सरकार मंदिर धार्मिक स्थल पर योजना षडयंत्र के तहत कब्जा करना चाह रही है।मंदिर कमिटी के पुनर्गठन में न्यास पर्षद ने लालफीताशाही को मूर्त रुप दिया ।नयी कमिटी के गठन पर लोगो का मंतव्य को दरकिनार क्यु किया गया।क्या योजनाबद्ध रुप से इसे अमलीजामा पहनाया गया ।कई सवाल आने वाले समय मे यक्ष के समान सामने आने वाले है।न्यास पर्षद में अध्यक्ष को छोड़कर तीनो सदस्य में अनुभव की कमी झलक रही है ।उनके बयान भी राजनीतिक से प्रेरित नजर आ रहे जिससे मामला शान्त होने के और भड़क रहा है।लोगो का कहना है कि मंदिर और धार्मिक स्थल की गरिमा बहाल होनी ही चाहिए परन्तु इसे खास राजनीतिक दल के गोद में नही बैठा देना चाहिए। सभी लोगो को शामिल किया जाना चाहिए। मंदिर धार्मिक स्थल का राजनीतिक करण नही हो ।यदि ऐसा होगा त स्वच्छता की बात करना बेईमानी होगी । हलांकि भाजपा और हिन्दुवादी संगठन ने न्यायालय की शरण लेने की बात कही है ।लोगो की धार्मिक भावना को बनाये रखने की जरुरत है।