रांची। झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी की प्रवक्ता आभा सिन्हा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और उन पर मणिपुर के लोगों की दुर्दशा पर राजनीति करने का आरोप लगाया और मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को तत्काल हटाने और पूर्वोत्तर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की।
उन्होंने ने कहा कि मोदी सरकार संसद में इस मुद्दे पर चर्चा नहीं चाहती क्योंकि वे अक्षमता, हिंसा के लिए षड्यंत्रकारी उकसावे, रैंक की उदासीनता और लापरवाही के दोषी हैं और सबसे ऊपर – दूसरी तरफ देखकर मणिपुर के लोगों पर जघन्य अमानवीय अपराध करने के दोषी हैं, जबकि मणिपुर 80 दिनों तक जलता रहा। प्रधानमंत्री की व्यक्तिगत पहुंच और नेतृत्व की कमी आश्चर्यजनक या चौकाने वाली नहीं है।
उन्होंने कहा कि कहा मणिपुर के लोग प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन उन्होंने लोगों को सिर्फ पीठ दिखाई है। मोदी अपनी सरकार की अक्षमता का दोष भारत के 140 करोड़ लोगों पर डालने की कोशिश की, जो देश की जनता के साथ धोखा नहीं तो और क्या है। क्या पिछले 80 दिनों से राजस्थान या छत्तीसगढ़ में दंगे हो रहे हैं? क्या इन राज्यों में जलाए जा रहे हैं गांव? क्या इन राज्यों में 50,000 लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं? क्या सशस्त्र उग्रवादी विद्रोही समूह इन राज्यों में 4500 गंभीर हथियार लूटकर एक-दूसरे पर गोलीबारी कर रहे हैं?”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राजस्थान में जो कुछ भी हुआ वह एबीवीपी के तीन गुंडों द्वारा किया गया था और उन्हें सीधे दो घंटे के भीतर गिरफ्तार कर लिया गया। मणिपुर सरकार को 1000 लोगों की भीड़ में से चार लोगों को गिरफ्तार करने में 77 दिन लग गए।
उन्होंने भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर निशाना साधा और कहा कि सीएम बीरेन सिंह ने टीवी पर यह कहकर अपनी ही सरकार की अक्षमता को उजागर किया कि “इसी तरह के सैकड़ों मामले हुए हैं, इसीलिए इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाया गया है, मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके, जो केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा नियुक्त मणिपुर में शांति समिति की अध्यक्ष भी हैं, ने महिला की भयानक वीडियो सामने आने के बाद सिर्फ मणिपुर के डीजीपी की खिंचाई कर शांत हो गये। एक साक्षात्कार में उइके ने यह सुझाव देने की कोशिश की कि जिस जिले में अपराध हुआ, उस जिले के पुलिस स्टेशन में पुलिस शिकायत दर्ज नहीं की गई थी। क्या इसका मतलब यह है कि पुलिस ने जानबूझकर 3 मई के बाद भड़की हिंसा पर कार्रवाई नहीं की। वीडियो अगले दिन 4 मई का है। क्या इसका मतलब यह है कि राज्य प्रशासन और पुलिस भीड़ के साथ मिली हुई थी, जब घटना हुई थी?
उन्होंने यह भी कहा कि 10 जून को घोषित शांति समिति के अध्यक्ष होने के नाते राज्यपाल को युद्धरत जातीय समूहों के बीच बातचीत शुरू करने का प्रयास करना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
कांग्रेस नेता ने कहा, अगर पीएम मोदी मणिपुर पर नाराज हैं तो उन्हें सबसे पहले अपने मणिपुर के सीएम को तुरंत बर्खास्त करना चाहिए। मोदी 77 दिनों तक नहीं बोले, लेकिन जब वह 30 सेकंड के लिए बोले, तो उन्होंने अकथनीय आतंक की शिकार महिलाओं की दुर्दशा पर राजनीति की। पीएम मोदी मणिपुर की घटना को बेसलेस इश्यू मानते हैं, इसलिए उसपर ध्यान देना उचित नहीं समझे। जो देश के भविष्य के लिए चिंताजनक है और मणिपुर की बर्बादी का दोषी किसे माना जाय यह एक सवाल खड़ा करता है।
उन्होंने यह भी सवाल किया कि मणिपुर सरकार, गृह मंत्रालय, पीएमओ, डब्ल्यूसीडी मंत्री, एनसीडब्ल्यू, एनएचआरसी इतने लंबे समय तक मणिपुर पर क्यों सो रहे थे। जब देश की महिलाऐं हीं सुरक्षित नहीं है, तो देश सुरक्षित कैसे होगा।
उन्होंने मांग की कि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को तत्काल अपने पद से हटाया जाय और पूर्वोत्तर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागु किया जाय ताकि पूर्वातर राज्य की जनता अपने आपको सुरक्षित महसूस कर सकें।