तरुण चंद्र राय
धनबाद। भारतीय जनतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष सरयू राय धनबाद के सर्किट हाउस में न्यूज़ 12 भारत से बातचीत के क्रम में झारखंड की राजनीति को लेकर अपना विचार साझा किया।
सरयू राय ने कहा कि झारखंड में जिस जल जंगल जमीन की बात की जाती है वस्तुतः इसकी धारणा को गलत तरीके से लिया जाता है। जल संरक्षण जंगलों के संवर्धन व जमीन की रक्षा को लेकर विचार करने के स्थान पर स्थानीय लोगों को गुमराह किया जा रहा है। झारखंड की प्राकृतिक संसाधनों की जिस तरह से लूट की जा रही है लोग उसे भ्रष्टाचार कह रहे हैं। पहले विकास का कार्य किया जाता था उसमें थोड़ा भ्रष्टाचार था मगर आज की संस्कृति हो गई है कि भ्रष्टाचार के लिए ही कार्य किया जा रहा है। हाल के समय मे मिश्रित अर्थव्यवस्था के स्थान पर पूंजीवादी व्यवस्था को प्राथमिकता दिया जा रहा है। पूंजीवादी व्यवस्था के कारण ही संगठित क्षेत्र में भी श्रम का दोहन की नीति कार्य करने लगी है। जिसमे एक ही कार्य के लिए दो वेतन संगठित व असंगठित श्रमों के बीच खाई को बढ़ा दिया है और इसे पाटने के लिए साम्यवादी समाजवादी विचारधारा की जरूरत है। जबकि घोर पूंजीवादी व्यबस्था कायम की जा रही है। 19वी सदी के आरंभ में कार्ल मार्क्स की विचारधारा के समकक्ष नेहरूजी का समाजवाद और लोहिया की विचारधारा ने मिश्रित अर्थव्यवस्था को बल दिया ।लेकिन वर्तमान में संग्रहित पूंजीवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है। जहां असंगठित क्षेत्र के श्रम का शोषण हो रहा है। खनिज क्षेत्र में इस शोषण को देखा जा सकता है कि कैसे कोयला उत्खनन में संगठित क्षेत्र के श्रम की हिस्सेदारी कम कर असंगठित रूप से कोयला उत्खनन में श्रमिकों का शोषण किया जा रहा है। और खनिज का लूट संगठित भ्रष्टाचार का प्रतीक बन गया है।
सरयू राय ने वर्तमान राजनीतिक चरित्र को को लेकर कहा कि अब सिंद्धान्तों की बात नही रह गई है। भ्रष्टाचार के माध्यम से कैसे पूंजीवाद को खड़ा किया जाय और अर्थ संग्रह किया जाय उस परिपाटी को प्राथमिकता दिया जा रहा है। जब तक विचारधारा का मेल नही होगा जनता का कल्याण नही होगा। विकास महज लूट के लिए कार्य करेगी और जनता मामूली सुविधा के लिए संघर्ष करेगी।
सरयू राय ने आगामी लोकसभा व झारखंड में विधानसभा को लेकर कहा कि भाजपा अपनी छवि राष्ट्रवादी व हिंदुत्व को लेकर बनाया तो हेमन्त सरकार मूल आदिवासी हितेषी के रूप में। लोकसभा राष्ट्र निर्माण सुरक्षा व समग्र विकास को लेकर देखा जाएगा और झारखंड में राज्य के आंतरिक विकास को। जो भी विचारधारा सामाजिक हित को पुष्ट करेगा और आम जनता के कल्याणार्थ होगा उसकी ओर जनता देखेगी और जो तात्कालिक स्थिति उत्पन्न होगा उसी अनुरूप निर्णय लिया जाएगा।