पटना, अडानी एंटरप्राइजेज के एफपीओ में आईएचसी ने जो पैसे लगाए हैं, वह अडानी ग्रुप की कंपनियों में आईएचसी का पहला निवेश नहीं है। पिछले साल आईएचसी ने अडानी ग्रीन की तीन कंपनियों अडानी ग्रीन एनर्जी, अडानी ट्रांसमिशन और अडानी एंटरप्राइजेज में पिछले साल 200 करोड़ डॉलर (16300 करोड़ रुपये) का निवेश किया था। ये तीनों कंपनियां घरेलू मार्केट में लिस्टेड हैं।
अडानी एंटरप्राइजेज का फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) शुक्रवार 27 जनवरी को खुल चुका है। इसमें यूएई की दिग्गज लिस्टेड कंपनी इंटरनेशनल होल्डिंग कंपनी (IHC) ने भी पैसे लगाए हैं। आईएचसी ने ऐलान किया है कि उसने अडानी एंटरप्राइजेज के एफपीओ में अपनी सब्सिडियरी ग्रीन ट्रांसमिशन इंवेस्टमेंट होल्डिंग आरएचसी लिमिटेड के जरिए निवेश किया है। आईएचसी ने इस इश्यू में 40 करोड़ डॉलर (3261.29 करोड़ रुपये) का निवेश किया है। IHC यूएई की राजधानी अबूधाबी में स्थित है और यह वहाँ की सबसे अधिक मार्केट कैप वाली कंपनियों में शुमार है। इसने इस FPO के एंकर बुक में भी पैसे लगाए थे।
अडानी एंटरप्राइजेज FPO पर क्या कहा IHC ने: IHC के सीईओ सैय्यद बसर शुएब ने कहा कि अडानी एंटरप्राइजेज के फंडामेंटला में उन्हें भरोसा है। अडानी एंटरप्राइजेज में लॉन्ग टर्म में प्रोष की मजबूत संभावनाएं दिख रही है जिसके चलते इसमें निवेश का फैसला किया गया ताकि शेयरहोल्डर्स की वेल्यू बढ़ाई जा सके। सुएब ने आगे कहा कि एफपीओ में निवेश का फायदा ये है कि कंपनी की अर्निंग्स रिपोर्ट, कंपनी के मैनेजमेंट, कारोबारी प्रैक्टिसेज की जानकारी के साथ-साथ निवेश के लिए फैसला लेने के लिए ढेर सारे डेटा मौजूद रहते हैं।
गौतम अडाणी समूह ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को भारत पर साजिश के तहत हमला बताया है।
अदाणी ग्रुप का कहना है कि क़र्ज़ का सिर्फ़ 40% तक भारतीय बैंक से लिया है. बाक़ी क़र्ज़ विदेश से लिया गया है. ख़ुद गौतम अदाणी कह चुके हैं कि विदेशी ठोंक बजाकर क़र्ज़ देते हैं. उनकी चुकाने की क्षमता नहीं होती तो क़र्ज़ नहीं मिलता.
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने कहा कि अदाणी ग्रुप को क़र्ज़ नियम क़ायदे से मिला है. उसके पास क़र्ज़ के बदले पर्याप्त संपत्ति गिरवी रखी हुई है.
अदाणी ग्रुप कोई हवा में कारोबार नहीं कर रहा है. उसके पास पोर्ट है, एयर पोर्ट है, बिजली बनाने की कंपनी है, कोयला खदान है, सड़कें है, सीमेंट बनाने के कारख़ाने हैं. खाने का तेल से लेकर आटा दाल बेचने वाला फ़ॉर्च्यून ब्रांड है. इनकी सालाना बिक्री दो लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा है.
मुनाफ़ा क़रीब 13 हज़ार करोड़ रुपये. ये आँकड़ा मार्च 2022 तक का है, इसमें सीमेंट कंपनियाँ शामिल नहीं है.