गिरिडीह। सीसीएल डीएवी पब्लिक स्कूल में दादा दादी,नाना नानी दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया स्कूल के प्राचार्य भैया अभिनव कुमार ने इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा की आज के समय में बुजुर्गों के प्रति बच्चों के दिल में आदर और सम्मान की भावना को प्रोत्साहित करना एवं उनके महानुभावों के प्रति सम्मान के लिए स्कूल इस आयोजन को अनिवार्य समझता है। कि दादा दादी नाना नानी वृक्ष रूपी परिवार के जड़ होते हैं जिनसे प्रेरणा पाकर पूरा परिवार पुष्पित और पल्लवित होता रहता है।उस जड़ को पुष्ट करने के लिए सम्मान रूपी जल से सम्यक सिंचन करना पड़ेगा तभी परिवार रूपी वृक्ष पल्लवित पुष्पित होकर सौरभमय बनेगा।अपने दादा दादी नाना नानी के साथ रहते हुए बच्चे बड़े प्रेम और उत्साह से अनमोल ज्ञान से ओतप्रोत होते हैं एवं अपने अंदर प्रेम, सौहार्द ,परोपकार, सामाजिकता आदि गुण ला पाते हैं।पहले के समय में बच्चों को उनके दादा दादी नाना नानी के साथ व्यतीत करने का काफी मौका मिलता था, पर अब वे अलग-अलग रहने लगे हैं। इसका मुख्य कारण माता पिता की व्यावसायिक प्रतिबद्धता है। ऐसी परिस्थिति में बच्चों को अपने दादा दादी नाना नानी के साथ रहते हुए जो विशेष गुण सीखने को मिलते थे उनसे वह वंचित होने लगे हैं और इसी के कारण उनके व्यवहार में भी परिवर्तन देखने को मिलता है ।साथ ही साथ परिवार के बुजुर्ग अपने आप को नाकाम एवं बेबस महसूस करते हैं। अपने आप को अनुपयोगी बोध से पीड़ित पाते हैं।जबकि समाज उनके अनुभव से संचित ज्ञान का एवं उनके जीवन के अनुभव का संपोषित उपयोग कर भावी भविष्य को और बेहतर बना सकता है और साथ ही साथ समाज में इनका सही स्थान स्थापित कर सकता है।वर्तमान में समाज में बुजुर्ग उपेक्षा के शिकार हो रहे हैं ,उन्हें अपेक्षित सम्मान नहीं मिल पा रहा है l दादा-दादी नाना-नानी दिवस मनाने के पीछे उद्देश्य है कि बच्चों को उनके दादा-दादी और नाना-नानी के प्रति जागरूक एवं संवेदनशील बनाना ताकि वरिष्ठ नागरिकों को यह न लगे कि समाज में अब उनका कोई महत्व नहीं रहा है | जिस प्रकार माता दिवस एवं पिता दिवस मनाया जाता है उसी प्रकार हमें दादा-दादी और नाना-नानी दिवस मनाना चाहिए। दादा-दादी और नाना-नानी का एक बच्चे के चरित्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इनके साथ बिताए हुए क्षण काफी मूल्यवान होते हैं | उनके चेहरे पर आई झुर्रियाँ इस बात का सबूत है कि वह हमारे घर में सबसे अनुभवी लोग हैं| बच्चों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है कि वे उनसे जुड़े, उनके अनुभव से सीखे और अपने जीवन का निर्माण करें। अगर ऐसा करते हैं तो वे मानसिक एवं चारित्रिक रूप से मजबूत होंगे| वरिष्ठ नागरिक और बुजुर्ग हमारी बहुमूल्य संपत्ति है | इस संपत्ति को संरक्षित रखना हमारा कर्तव्य है और यह तभी संभव है जब हम इसे दादा दादी नाना नानी दिवस के रूप में मनाए।तब सब का ध्यान इस ओर केंद्रित होगा, लोग इनके मूल्यों को समझेंगे तभी टूटता बिखरता परिवार एक हो जाएगा और पारस्परिक सौहार्द, प्रेम, भाईचारा जैसे मानवीय मूल्यों का उत्तरोत्तर विकास होगा।कहा भी गया है –
बुजुर्गों के अनुभव से मिलते हैं अच्छे संस्कार,इनकी बिना अधूरा संसार :जीएम
इस कार्यक्रम को संबोधित करते मुख्य अतिथि सीसीएल( जीएम)
एम के अग्रवाल ने दादा दादी और नाना नानी को नमन करते हुए कहा कि दादा दादी बच्चो के लिए सबसे बड़ा उपहार है वही पोते पोतियों उनके स्वास्थ्य और दीर्घायु होने का कारण। इस समझ को समाज में कायम रखने के लिए स्कूल के जूनियर क्लास के शिक्षिकाओं को मुख्य अतिथि ने शुक्रिया किया। इस समारोह में एलकेजी से क्लास 2 के बच्चों के 200 दादा-दादी ,नाना-नानी शामिल हुऐ। बच्चों ने अपने मनमोहक अंदाज में भाषण ,गीत ,संगीत, डांस, लघु नाटक, कविता एवं उपहार के द्वारा अपने दादा दादी को लुभाया ,वही पोते पोतियो और नाती नतीनियो को खुश करने के लिए दादा-दादी एवं नाना-नानियो ने भी गीत ,कहानी तथा डांस के द्वारा सबको भाव विभोर किया । यह एक यादगार एवं उदेश्यपूर्ण आयोजन रहा। जीवन के महत्वपूर्ण मूल्यों, विश्वासों, आदर्शों को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने वाले बुजुर्गों को शत-शत नमन। आयोजन में सीसीएल के पीओ श्री एस के सिंह, चीफ मैनेजर प्रतुष कुमार एवं अन्य अधिकारी भी शामिल हुए।