धनबाद | निरसा प्रखण्ड परिसर में नए प्रखण्ड भवन का निर्माण हुआ । पुराने प्रखण्ड भवन से नए प्रखण्ड भवन में कार्यालय शिफ्ट हो गया , कार्य भी सुचारू रूप से चल भी रहा है जिसका उद्घाटन राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ऑन लाइन किया था , लेकिन पुराना प्रखण्ड भवन एवं उसका परिषर टैक्सी स्टैंड में तब्दील हो गया , इतना ही नही छोला बटोरा ,एवं गुपचुप की दुकाने सज गई । फोटो में आप गाड़ियों का जमावड़ा टैक्सी स्टैंड में तब्दील तथा ढेला में सजी दुकाने देखी जा सकती है ।
अधिकारियों प्रखण्ड विकास पदाधिकारी , अंचलाधिकारी का आवास भी इसी परिषर में है , जिले के वरिये अधिकारियों का आना जाना भी लगा रहता है मगर किसी अधिकारी का ध्यान इस ओर नही जाता , इतना ही नही प्रखण्ड का पुराना भवन जानवरों का तबेला बन कर रह गया है । जनता के लिये पुराने प्रखण्ड भवन से सटे लाखों रुपये की लागत से बना शौचालय जबसे बना है ताला बंद है । प्रखण्ड कार्यालय में सुदूर देहाती क्षेत्रों से आये महिला व पुरुष को पुराने प्रखण्ड के पीछे उग आए जंगल झार में शौच के लिये जाना पड़ता है जो काफी शर्मनाक है । पुरुष व महिलाओं को शौचालय के अभाव में कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ता होगा सहज ही समझा जा सकता है ।
इतना ही नही करोड़ की लागत से बना आधुनिकता से परिपूर्ण प्रखण्ड कार्यालय के नये भवन में पेयजल का घोर अभाव है , अधिकारियों व कर्मचारियों को अपने स्तर से वैकल्पिक पेयजल की ब्यवस्था करनी पड़ती है जो काफी दुखद व शर्मनाक है ।
प्रखण्ड कार्यालय का मुख्य गेट अतिक्रमणकारियों के कब्जे में है , गेट के दोनों छोड़ पर फुटपाथ दुकानदारों ने कब्जा कर लिया है , यों तो फोर लेन हटिया मोड़ से निरसा चौक तक फूटपाथ दुकानदारों के कब्जे में है, साइकिल व बाइक लेकर चलना तो दूर पैदल चलना कठिन है । अधिकारी इसी मुख्य गेट से आना जाना करते है , आने जाने में वे भी परेशानी महशुस करते होंगे, बावजूद क्यों चुप हैं ये तो वही जाने मगर जनता की परेशानी ज्यों की त्यों है , उपरोक्त परेशानियों को कौन दूर करेगा ? लोकल प्रशासन या जिला प्रशासन ? यह सुनिश्चित किया जाना जनता के हित मे होगा । क्या प्रशासन उक्त समस्याओं को दूर करने की दिशा में कारगर कदम उठाएगी ?