छत्तीसगढ़ | अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद पखांजूर ने मनाया भगवान बिरसा मुंडा का पुण्यतिथि मनाया जिसमें सर्वप्रथम उनके छायाचित्र में माल्यार्पण कर पूजा अर्चना किया गया जिसमें विभाग संयोजक रोशन बाराई ने कहा भगवान जी का जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के खूंटी जिले के उलिहातू गांव में इनका जन्म हुआ था. उनके पिता का नाम सुगना मुंडा और माता का नाम करमी था ITI अध्यक्ष अभिषेक यादव ने कहा कि ब्रिटिश सरकार और उनके द्वारा नियुक्त जमींदार आदिवासियों को लगातार जल-जंगल-जमीन और अन्य प्राकृतिक संसाधनों से बेदखल कर रहे थे. 1895 में बिरसा ने अंग्रेजों द्वारा लागू की गयी जमींदारी प्रथा और राजस्व-व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई छेड़ दी. उन्होंने सूदखोर महाजनों के खिलाफ भी जंग का एलान किया. ये महाजन, जिन्हें वे दिकू कहते थे, कर्ज के बदले उनकी जमीन पर कब्जा कर लेते थे. यह सिर्फ विद्रोह नहीं था, बल्कि यह आदिवासी अस्मिता, स्वायत्तता और संस्कृति को बचाने के लिए संग्राम था. भगवान बिरसा की 9 जून, 1900 को जेल में संदेहास्पद अवस्था में मौत हो गयी. अंग्रेजी हुकूमत ने बताया कि हैजा के चलते उनकी मौत हुई है. महज 25 साल की उम्र में मातृ-भूमि के लिए शहीद होकर उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई को उद्वेलित किया, जिसके चलते देश आजाद हुआ. भगवान बिरसा के संघर्ष और बलिदान की वजह से उन्हें आज हम ‘धरती आबा’ के नाम से पूजते हैं. इस कार्यक्रम में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता नगर मंत्री राहुल सरकार विभाग संयोजक रोशन बढ़ाई अमित पाल अभिषेक यादव सुमन माजी सुशील अजीत मण्डल मुकेश मण्डल विवेक मण्डल महानंद मण्डल दीपांकर मित्रसूरज मंडल हिमांशु विश्वास