रोहित बेमुला की 6वीं शहादत दिवस मनाया गया

धनबाद / झरिया / असलम अंसारी / दलित शोषण मुक्ति मंच के तत्वावधान में शहीद रोहित बेमुला का शहदात दिवस पूरे मर्यादा के साथ रणधीर वर्मा चौक धनबाद में मनाया गया।
कार्यक्रम में शहीद रोहित बेमुला अमर रहे!, रोहित हम तुम्हें नहीं भूलेंगे!, रोहित बेमुला, मनु वादियों के खिलाफ संघर्ष जारी है, जारी रहेगा!, दलित, शोषित, पिछड़ों, आदिवासियों तथा अल्पसंख्यकों की एकता कायम हो!, मनुवाद के खिलाफ संघर्ष तेज करो!, रोहित बेमुला हम तुम्हे नहीं भूलेंगे नारे लगाए जा रहे थे।
इस अवसर पर दलित शोषण मुक्ति मंच की राष्ट्रीय सदस्य तथा झारखंड राज्य कमेटी के कन्वेनर शिव बालक पासवान संबोधित करते हुए कहा की रोहित बेमुला की शहादत हम नहीं भुलेंगे क्योंकि उनके मौत के ,ये तीन मुद्दे ,उच्च शैक्षणिक संस्थानों में जातिगत भेदभाव, आदिवासी और दलित समुदाय से आने वाले छात्रों के मानसिक और भावनात्मक परेशानियां,छात्रों की इन परेशानियों को लेकर लोगों का उदासीन रवैया ने मौत कारण हुए। भारतीय जनता पार्टी की सरकार, जो आरएसएस के गर्भ से पैदा होता है और आरएसएस एक आंतकी संगठन है। देश में दलितों ,आदिवासियों, पीछड़ो को शिक्षण संस्थान में हत्या की यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी कई छात्र आदिवासी, दलित ने आत्महत्या किया। रोहित बेमुला की मौत , इस व्यवस्था की शिक्षण संस्थान की दलित आदिवासियों के प्रति जो उनकी घीनौनी चेहरा है, दर्शाता है। आज की सरकार पूरी शिक्षा संस्थान को नष्ट कर दी हैं। इसका उदाहरण है लोगों को अनपढ़ बनाने वाली नई शिक्षा नीति हैं। देश के 45 हजार विश्वविद्यालय को अब मात्र 15 हजार कर दिया जाएगा। शिक्षा संस्थानों को नीजिकरण करने की साज़िश भाजपा वाली केंद्र की मोदी सरकार कर रही है। देश सरकारी संस्था जैसे रेल, कोयला या सरकारी संपत्तियों को निजीकरण कर रही है।, इसके खिलाफ अब हर क्षेत्र में मजदूर किसान और आमजनता संघर्ष पर है।23-24 फरवरी 2022 को देश की श्रमिक संगठनों ने देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है, जिसका हम सब समर्थन करते हैं।
कार्यक्रम में किन्नर समाज से भी लोग शामिल हुए थे, उनका एक साथी अश्वनी अंबेडकर ने कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर ने संविधान में हमलोगों का भी अधिकार देने की बात कही है, इस लिए हम सब डॉ. भीम राव अंबेडकर को मानते हैं, हम उनके अनुवायों के साथ हैं। करना होगा। अन्य वक्ताओं ने आरक्षण की मांग को लेकर देश के आदिवासी, दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं को एक हाथ में संविधान दूसरे हाथ में मंडल कमीशन और मार्क्सवाद की विचार से लैश होकर यह वैचारिक लड़ाई को लड़ना होगा।
कार्यक्रम में राम कृष्णा पासवान, परी राय, छोटी किन्नर, काजल किन्नर, गुड़िया किन्नर, भगवान दास, धर्मराज धारी, प्रजा पासवान, नौशाद अंसारी, रामबालक, सुरेश पासवान, सोनू पासवान, सोनू दास, राजाराम पासवान तथा कई अन्य साथी मुख्य रूप से उपस्थित थे। अध्यक्षता संतोष चौधरी ने किया।
कार्यक्रम को कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए किया गया।

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