जनवादी लेखक संघ तथा दलित शोषण मुक्ति मंच के संयुक्त तत्वधान में भागा मोड़, बनियहीर (झरिया) में सेमिनार आयोजन

झरिया / जनवादी लेखक संघ तथा दलित शोषण मुक्ति मंच के संयुक्त तत्वधान में भागा मोड़, बनियहीर (झरिया) सेमिनार आयोजन किया गया। विश्व अल्पसंख्यक अधिकार दिवस इस पर आधार पत्र जियाउर रहमान ने पढा, जिसमें अधिकार और मानवता पर क्यों हमला आज किया जा रहा है इस पर चर्चा की गई मुख्य वक्ता के रूप में दलित शोषण मुक्ति मंच के राष्ट्रीय सदस्य तथा झारखंड राज्य के कनवेयर शिव बालक पासवान ने विस्तार रूप से वर्तमान परिस्थितियों का विस्तृत रूप से चर्चा की आज सांप्रदायिक शक्तियों का बोलबाला बढ़ गया है एनआरसी सीए लाकर अधिकारों का हनन किया जा रहा है अपने अधिकार के लिए जागरूक होना पड़ेगा और संघर्ष में जाना पड़ेगा एकजुट होकर हमें नए समाज के निर्माण में आगे आना होगा। अल्पसंख्यक अधिकारों को पहचान देने और उनके हक की लड़ाई को और सशक्त करने के लिए हर साल 18 दिसंबर को विश्व अल्पसंख्यक अधिकार दिवस मनाया जाता है पूरी दुनिया में मानवता के खिलाफ हो रहे जुल्मों को रोकने और उसके खिलाफ आवाज उठाने में इस दिवस महत्वपूर्ण भूमिका है संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय अधिकार दिवस की घोषणा 18 दिसंबर 1993 को की सबसे राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना देश में की गई आयोग यह यह घोषणा करती है कि किसी भी परिस्थिति में अल्पसंख्यकों के लिए अधिकार संस्कृति ,धार्मिक ,भाषाई पहचान को उनके सीमा के अंतर्गत सुरक्षित तथा विकसित करने के स्वतंत्रता की गारंटी करता है। भारतवर्ष में धार्मिक लोगों की प्रतिशत का आंकड़ा २०११ के जनजणना के आधार पर प्रकार दर्शाये गए हैं। हिन्दुत्व ७९.८ %, मुस्लिम १४.२% , सिख १.४२ %, ईसाई २.३%,जैनि ०.३७%,गैर सूची ०.२४%, अन्य ०.६६% यद्यपि भारत के संविधान में अल्पसंख्यक शब्द को परिभाषित नहीं किया गया।फिर भी संविधान में संविधानिक सुरक्षा और मौलिक अधिकार की गारंटी करता है। मौलिक तथा बुनियादी अधिकार के अंतर्गत न्यायपालिका महत्वपूर्ण है ।जो इन अधिकारों की सुरक्षा करने तथा उन्हें लागू करने की जिम्मेवारी की गारंटी करता है। इनकी भाषा बोली संस्कृति, आचार -विचार की स्वतंत्रता की निष्पक्ष रूप से प्रोत्साहित करता है। संविधान के आर्टिकल 30(२) के अंतर्गत अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थाओं का प्रबंधन और संचालन तथा राज्यों से वित्तीय अनुदान ,सहायता प्राप्त करने का पूर्ण अधिकार रखता है। इस दिशा में सरकार को तथा विभागीय सहयोग करने का अनुपालन करने का दिशा- निर्देश राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग द्वारा दी गई है
वर्तमान समय में देश में जिस तरह का माहौल आये दिन देखने को मिलता है। ऐसे में अधिकार और इससे जुड़े आयामों पर चर्चा जरूरी और महत्वपूर्ण हो जाती है देशभर में मोब लिंचिंग की घटनाएं बिहार के मुजफ्फरपुर और उसके तुरंत बाद उत्तर प्रदेश के हाथरस की घटना,जो रात के अंधेरे में युवती को जला दिया, साथ वीभत्स प्रीति मानव अधिकार की धज्जी उड़ाते देखते हैं। कई विवादास्पद घटनाओं जैसे ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद उत्पन्न दंगे ,शाहबानो मामले के बाद नौलाने में भड़की विद्रोह की चिंगारी, बाबरी मस्जिद ध्वस्त होने के बाद देशभर में हुए दंगे, गुजरात में भी हिंदू -मुसलमान दंगे, कश्मीर में आये दिन हो रहे दंगे इत्यादि के समय भी देश के नागरिकों के मानव अधिकारों का हनन किसी से छुपा नहीं है। हालांकि ऐसे कई मामले देखने को मिलते हैं ।जब मानव अधिकारों के उल्लंघन गंभीर मुद्दा उठाते हैं । तो इन.एच .आर. सी अपने कर्तव्यों का बखूबी पालन करता है ।लेकिन फिर भी एन. एच . आर.सी से अन्य कई मामलों पर अपनी अनुशंसाएं देने में खुद को लाचार रहा है। तो क्या ऐसे एक निष्प्रभावी संस्था मान लिया जाए। लिहाजा सवाल उठता है कि इस लाचारी के कारण है ।और क्या इस लाचारी को कोई समाधान है? इस लेख के माध्यम से हम इन्हीं सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश करेंगे।
अध्यक्षता डाक्टर इम्तियाज बिन अजीज ने किया। वक्ताओं में सिख समुदाय के नेता बलबिन्दर सिंह ,दिलीप चक्रवर्ती ,मोहम्मद जियाउर रहमान ,दुकालू दास बीपी,संतोष रजक, संतोष चौधरी ,नौशाद अंसारी, रामवृक्ष धारी ,धर्मराज धारी,फारवर्ड ब्लाक के जिला सचिव , प्रजा पासवान,तथा अन्य लोगों ने संबोधित किया

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