धनबाद / जेल आइजी और अधीक्षक के विरुद्ध क्यों न हो कार्रवाई ? संजीव के आवेदन पर धनबाद कोर्ट ने अभियोजन से पूछा सवालबहस करने के बाद धनबाद कोर्ट से बाहर निकलते पूर्व विधायक संजीव सिंह के अधिवक्ता संजीव सिंह की ओर से उपस्थित हाईकोर्ट के अधिवक्ता बीएम त्रिपाठी मदन मोहन दरियप्पा नूतन शर्मा व मो जावेद ने अदालत में दलील देते हुए कहा कि प्रशासन द्वारा अदालत के आदेश की अवहेलना करना गंभीर आपराधिक विषय है। जेल आईजी व अधिक्षक के विरुद्ध आपराधिक अवमानना का मामला चले।
धनबाद अदालत के आदेश के बाद भी दुमका जेल में बंद झरिया के पूर्व भाजपा विधायक संजीव सिंह को धनबाद जेल शिफ्ट नहीं किए जाने के मामले में मंगलवार को सुनवाई करते हुए जिला एवं सत्र न्यायाधीश रवि रंजन ने सख्त रुख अपनाया। उन्होंने लोक अभियोजक बीडी पांडेय से पूछा कि क्यों न जेल आइजी और जेल अधीक्षक के विरुद्ध अदालत की अवमाना की कार्यवाही के लिए मामले को उच्च न्यायालय में भेज दिया जाय। इस पर लोक अभियोजक ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि जल्द ही संजीव सिंह को दुमका से धनबाद जेल में शिफ्ट करने की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
लोक अभियोजक ने बचाव करते हुए कोर्ट को बताया कि अदालत का आदेश मिलते ही जेल अधीक्षक ने दुमका जेल अधीक्षक को पत्र लिखकर बंदी को धनबाद जेल वापस भेजने को कहा है। दुमका अधिक्षक ने भी जेल आईजी से आवश्यक निर्देश व पुलिस बल की मांग की है। उन्हें समय दिया जाए। जल्द अदालत के आदेश का अनुपालन कर दिया जाएगा। अदालत ने लोक अभियोजक को लिखित ज़बाब दाखिल करने का आदेश दिया। इसके पूर्व संजीव सिंह की ओर से हाईकोर्ट के अधिवक्ता बीएम त्रिपाठी, मदन मोहन दरियप्पा, नूतन शर्मा व मो जावेद ने अदालत में दलील देते हुए कहा कि प्रशासन द्वारा अदालत के आदेश की अवहेलना करना गंभीर आपराधिक विषय है। इस कारण जेल आईजी व अधिक्षक के विरुद्ध आपराधिक अवमानना का मामला चले, यह मामला न्यायपालिका और न्यायिक प्रशासनिक व्यवस्था पर भी कुठाराघात है
21 फरवरी को सुरक्षा कारणों का हवाला देकर झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह को धनबाद से दुमका जेल शिफ्ट कर दिया गया था। जिस पर कड़ी नाराजगी दिखाते हुए जिला एवं सत्र न्यायाधीश रवि रंजन की अदालत ने 25 फरवरी को आदेश पारित करते हुए न केवल उस आदेश को अवैध बताया था बल्कि विधि द्वारा स्थापित न्यायिक व्यवस्था और प्रक्रिया पर कुठाराघात भी बताते हुए अधीक्षक को काफी फटकार लगाई थी। संजीव सिंह को दुमका से धनबाद जेल शिफ्ट करने का आदेश दिया था। लेकिन एक पांच दिन बीत जाने के बाद भी संजीव सिंह को धनबाद नहीं लाया गया है।