धनबाद / झरिया ( असलम अंसारी ) संतान की लंबी उम्र के लिए बुधवार को माताएं जिउतिया का निर्जला व्रत करेंगी। इससे पूर्व मंगलवार को महिलाओं ने नहाय-खाय के साथ जिउतिया व्रत का संकल्प लिया।परंपरा अनुसार सतपुतिया और मडुआ के आटे से बने व्यंजन पकाए गए। काशी पंचांग के अनुसार अधिकांश महिलाओं ने रात 10.30 बजे ही सरगही का अनुष्ठान पूरा कर लिया, क्योंकि इस वर्ष ब्रह्म मुहूर्त में सरगही की अनुमति नहीं थी।वहीं मिथिला पंचांग को मानने वाले का निर्जला व्रत मंगलवार को ही शुरू हो गया। इनका व्रत कुल 35 घंटों का होगा। हालांकि पारण बुधवार की संध्या 5.04 के उपरांत कर लेंगी जबकि काशी पंचांग को मानने वाली महिलाएं अपने नीयत समय पर गुरुवार की सुबह करेंगी।*महिलाएं सुनेंगी जिमूतवाहन की कथा*जिउतियां पर दिनभर व्रत रखकर माताएं संध्या में एक जगह एकत्रित होंगी। पुरोहित से जिमूतवाहन की कथा सुनेंगी। घाट पर जाकर पूजा करने की भी परंपरा रही है। धैया रानीबांध, बेकारबांध राजेंद्र सरोवर, सर्वेश्वरी आश्रम, धैया बांधधार सहित अन्य सरोवरों में महिलाओं को जुटान होता है। खड़ेश्वरी मंदिर के पुजारी राकेश पांडेय बताते हैं कि मंदिर में कई समूह में महिलाओं को जुटान होता है। मान्यता है कि कथा श्रवण नहीं करने से जितिया व्रत को लाभ नहीं मिल पाता।