17 वीं सदी से शुरु हुई मां पाउड़ी की शक्ति पीठ पर वार्षिक नुआखाई जंताल पूजा सम्पन्न

दिउरी ने पूजा अर्चना कर क्षेत्र की खुशहाली के लिए मांगी मन्नत।

सरायकेला / सदियों से चली आ रही परंपरा का निर्वहन करते हुए इस वर्ष भी सम्पूर्ण पारंपरिक विधि-विधान के साथ खरसावां के कुम्हारसाही स्थित प्रसिद्ध मां पाउड़ी के शक्ति पीठ पर रविवार को वार्षिक नुआखाई जंताल पूजा का आयोजन किया गया।राजा राजवाड़े के समय से लगभग 17वीं सदी से मां पाउड़ी के शक्ति पीठ पर इस पूजा का आयोजन होते आ रहा है परंतु देश की आजादी के बाद इसका आयोजन राज्य सरकार करती आ रही है।
मां पाउड़ी के शक्ति पीठ पर दिउरी ने सामाजिक दूरी का पालन करते हुए पूजा अर्चना कर क्षेत्र की खुशहाली के लिए मन्नत मांगी। भक्तों द्वारा मिट्टी के बने हाथी-घोड़ा भी माता के श्री चरणों मे भेंट किया गया।इस अवसर पर खरसावां राजपरिवार से कुअँर अनूप सिंहदेव समेत राजपरिवार के सदस्य पहुंच कर माता के श्री चरणों मे माथा टेका एवं क्षेत्र की खुशहाली सह अच्छी फसल के लिए कामना की।क्षेत्र में मान्यता है कि पूजा के पश्चात मां पाउड़ी प्रसन्न होती हैं तथा माता के आशीर्वाद स्वरूप क्षेत्र की समृद्धि बढ़ती है।पूजा का आयोजन क्षेत्र की सुख-शांति व अच्छी फसल के लिये की जाती है। दिउरी के द्वारा इस वर्ष के नये धान के पहले फसल से तैयार चावल
माता को अर्पित किया गया। इसके पश्चात क्षेत्र में सभी परिवार अपने अपने घरों में नए चावल से खीर बनाकर खाने की परंपरा का आयोजन किया जाता है।पूजा के पश्चात भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण किया गया इस साल भी कोविड 19 के असर के कारण श्रद्धालु काफी कम देखे गए।
खरसावां के मां पाउड़ी शक्ति पीठ पर जंताल पूजा का काफी महत्व है। मां पाउड़ी साक्षात माता भगवती के अवतार हैं।माता के दरबार मे सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है माता के दरबार से आजतक कभी कोई खाली हाथ नही लौटा है। प्रत्येक सप्ताह गुरुवार को माता पाउड़ी के पीठ पर पूजा की जाती है।
इस पीठ पर पूजा अर्चना के लिये
सालों भर श्रद्धालुओं का हुजूम लगा रहता है।

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