1 अगस्त आज है फ्रेंडशिप डे जाने क्यों मनाया जाता है दोस्ती का यह त्यौहार!

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धनबाद / (संवाददाता : विश्वजीत सिन्हा)आज 1 अगस्त फ्रेंडशिप डे चलिए जानते हैं दोस्ती का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ! दोस्ती का रिश्ता बेहद खूबसूरत रिश्ता होता है. ये रिश्ता हर जाती धर्म से परे होता है. दोस्ती एक ऐसा रिश्ता होता है जिसे बिना किसी शर्त के दिल से निभाया जा सकता है. दुनियाभर में हर साल अगस्त के पहले रविवार को फ्रेंडशिप डे मनाया जाता है. आप अपनों से जिस से ज्यादा प्यार किया हो अपने दिलो जान से जिसे सच्चा मित्रता किया हो दोस्त दोस्त का खुदा होता है

अगस्त के पहले रविवार को मनाते हैं फ्रेंडशिप डे फ्रेंडशिप डे की शुरुआत साल 1958 में हुई थी

दोस्ती का रिश्ता बेहद खूबसूरत रिश्ता होता है. ये रिश्ता हर जाती धर्म से परे होता है. दोस्ती एक ऐसा रिश्ता होता है जिसे बिना किसी शर्त के दिल से निभाया जा सकता है. दुनियाभर में हर साल अगस्त के पहले रविवार को फ्रेंडशिप डे मनाया जाता है. इस साल फ्रेंडशिप डे 1 अगस्त यानी आज मनाया जा रहा है.

क्या आपने कभी सोचा है फ्रेंडशिप डे की शुरुआत कब और कैसे हुई तो चलिए जानते हैं

फ्रेंडशिप डे की शुरुआत साल 1958 में हुई थी. कहा जाता है कि साल 1958 के अगस्त महीने के पहले रविवार को एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी. अपने दोस्त की याद में मरने वाले व्यक्ति के एक दोस्त ने आत्महत्या कर ली थी. तभी से अमेरिकी सरकार ने अगस्त के पहले रविवार को फ्रेंडशिप डे के रूप में मनाने का निर्णय लिया था. कहां जाता है कि पराग्वे के डॉक्टर रमन आर्टेमियो ने 20 जुलाई 1958 को एक डिनर पार्टी का आयोजन किया, जिसके दौरान उन्होंने अपने दोस्तों के साथ फ्रेंडशिप डे मनाने का विचार रखा. इसके बाद से दुनियाभर में फ्रेंडशिप डे मनाया जाने लगा.

दोस्ती का पल खास बनाएं कैसे तो चलिए जानते हैं

फ्रेंडशिप डे को खास बनाने के लिए इस दिन सभी दोस्त मिलकर खास पार्टी का आयोजन करते हैं एक दूसरे से गले मिलते हैं हाथ मिलाते हैं तथा एक दूसरे को मिठाईयां खिलाकर एक दूसरे वादा करते हैं यह दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे तोडेंगे दम मगर तेरा साथ ना छोड़ेंगे! कुछ लोग इस दिन को यादगार बनाने के लिए हिल स्टेशन या अपनी मनपसंद जगहों पर जाना पसंद करते हैं.

एक मित्रता ऐसा भी था

जब कृष्ण सुदामा की सच्ची मित्रता, जब नंगे पैर दौड़ पड़े द्वारिकाधीश तो यह थी दोस्ती के महानता!

जब राजा कृष्ण अपने मित्र सुदामा के आने का संदेश पाकर कृष्ण नंगे पैर ही उन्हें लेने के लिए दौड़ पड़ते हैं। मित्र सुदामा की दयनीय हालत देखकर भगवान कृष्ण के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। भगवान कृष्ण ने मित्र सुदामा का पैर अपने आंसुओं से धूल दिया। यह घटना भगवान कृष्ण का अपने मित्र सुदामा के प्रति अनन्य प्रेम को दर्शाता है, इसीलिए कृष्ण और सुदामा की दोस्ती की मिसाल दी जाती है।

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