अभिभावको ने की विद्यालय खोलने की मांग

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धनबाद। झरिया। असलम अंसारी। छात्र-छात्राओं मे शिक्षा के दीप बुझते हुए को देखकर छात्र छात्राओं के गार्जियन अभिभावक को सब्र का बांध टूटता नजर आ रहा है। बताया जाता है कि लगभग 18 महीना से पठन-पाठन पूरी तरह से चौपट हो गया है। गार्जियन का कहना है कि ऑनलाइन जब से शिक्षा दी जा रही है छोटे-छोटे बच्चों प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने वाले बच्चों को कुछ समझ में नहीं आता है। अभिभावकों का कहना है कि महज विद्यालय की ओर से खानापूर्ति की जा रही है साथ ही विद्यालय का शुल्क शिक्षा के दीप नहीं जलने पर भी फीस जमा करना पड़ता है। जिससे कि इस महामारी एवं लॉकडाउन मैं अधिकांश बेरोजगार हो गया है। रोजगार के लिए लोगों को दर-दर भटकना पड़ रहा है बच्चों का खेल भरना तो दूर खाने पीने पर लाला पड़ा हुआ है। उसके बाद भी निजी विद्यालय एवं डी नो ओवली स्कूल मैं मनमाने तरीके से खींच लिया जा रहा है नहीं देने पर विद्यालय से नाम काटने एवं परीक्षा में नहीं बैठने की धमकी दिया जाता है। मजबूरन कर्ज लेकर विद्यालय का फीस जमा किया जा रहा है। जबकि छोटे-छोटे बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा में कुछ शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाता है और तो और निर्धन असहाय व्यक्तियों के बच्चों के पास मोबाइल अथवा लैपटॉप भी नहीं है जिससे कि वह शिक्षा प्राप्त कर सके। अभिभावक एवं गार्जियन का कहना है कि बच्चों का भविष्य अंधकार में होता दिख रहा है। विद्यालय का नामोनिशान बच्चों ने बुलाता जा रहा है। लोगों ने बताया कि केंद्र तथा राज्य सरकार को शिक्षा की दीप बुझते हुए को जलाने का प्रयास करना चाहिए पूरे देश बच्चों पर निर्भर करता है आने वाला भविष्य अंधकार में होने से बचाने का कोई विकल्प ढूंढना चाहिए जिससे कि भारत देश में शिक्षा के दीप जलते रहे। क्योंकि बुनियादी शिक्षा 18 महीना से अधिक समय से सुचारू रूप से शिक्षा प्राप्त नहीं हो रहा है अभिभावकों ने कहा है कि केंद्र अथवा राज सरकार को कोई रास्ता निकालते हुए सभी विद्यालय में शिक्षा की दीप जलाते हुए बच्चों का भविष्य पर गहन चिंतन मंथन करना चाहिए। आने वाले समय में बच्चों पर पूरे देश टिका हुआ है। बच्चों ने विद्यालय का नाम भुला कर अब कई प्रकार की खेल में मस्त है। साथ ही सुबह उठते ही हाथों में मोबाइल होता है और विभिन्न प्रकार की मोबाइल में देखते हुए उसे अपना रहा है यही नहीं आधी रात में भी मोबाइल पर ही बच्चों की निगाहें होती है जिससे कि छोटे-छोटे बच्चे बालक एवं युवा वर्ग के लोग मोबाइल देख कर हो रहे हैं बर्बाद सरकार को इस और ध्यान देने की आवश्यकता है। लोगों ने जोर देकर मांग किया है कि देश के भविष्य छात्र-छात्राओं पर टिका हुआ है परंतु शिक्षा के दीप के बगैर मनुष्य अंधकार में है और इसके लिए तुरंत कोई उपाय लगाना चाहिए हालांकि केंद्र राज्य सरकार की गाइडलाइन का पालन करते हुए विद्यालय खुलना चाहिए छात्रछात्राओं का उज्जवल भविष्य पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

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