20 हजार संतालों ने जल, जंगल, जमीन की हिफाजत के लिए दी थी कुर्बानी : बिरसा सोय

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सराईकेला / हूल दिवस के शुभ अवसर पर अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद की वर्चुअल ऑनलाइन मीटिंग आयोजित की गई। मीटिंग का संचालन राजीव कुमार मुंडा जी ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन ज्योतिष कुमार माहली जी ने दिया। बैठक को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के प्रदेश संयुक्त सचिव श्री बिरसा सोय ने कहा कि 30 जून 1855 को साहेबगंज जिले के भोगनाडीह में 400 गांव के 40,000 आदिवासियों ने चार भाइयों सिद्धों, कान्हू, चांद और भैरव के नेतृत्व में अंग्रेजों को मालगुजारी देने से इंकार करने की घोषणा की. इस दौरान सिद्धो ने कहा था, अब समय आ गया है कि फिरंगियों को खदेड़ दिया जाये. इसके लिए संतालों से कहा था- करो या मरो, अंग्रेज़ों हमारी माटी छोड़ो। अंग्रेजों ने तुरंत इन चार भाइयों को गिरफ्तार करने का आदेश जारी किया. गिरफ्तार करने आये दारोगा की संताल आंदोलनकारियों ने गर्दन काटकर हत्या कर दी. इसके बाद संताल परगना के सरकारी अधिकारियों में आतंक छा गया.अंग्रेजों ने प्रशासन की पकड़ कमजोर होते देख आंदोलन को कुचलने के लिए सेना को मैदान में उतारा. मार्शल लॉ लगाया गया. हजारों संताल आदिवासियों को गिरफ्तारी किया गया. लाठियां चलीं. गोलियां चलायी गयीं. इस लड़ाई में चांद और भैरव शहीद हो गये. संताल हूल के दौरान जबतक एक भी आंदोलनकारी जिंदा रहा, वो लड़ता रहा। उन्होंने कहा कि आज आदिवासी समाज को सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक दृष्टिकोण से मजबूती देने की जरूरत है।आज के इस वर्चुअल मीटिंग में राजीव कुमार मुंडा, ज्योतिष कुमार माहली, संजय मेलगांडी, सिद्धेश्वर कुदादा, मंगल सिंह जोंको, आशा काश्यप, अनासिका वार्जो, संजय माहली, मांगीलाल मेलगांडी, सुभाष चन्द्र कुदादा, अजय मेलगांडी, मंगल सिंह मुंडा, शंकर बेसरा, पुलक कुमार एवं अन्य उपस्थित हुए।

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