बलौदाबाजार/ (छत्तीसगढ़ प्रतिनिधि अभिषेक शावल) कसडोल विकासखंड के प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति पिसीद में रखा धान भीग कर आधे से ज्यादा सड़कर बर्बाद हो चुका है, आपको बता दें कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति पिसीद में समर्थन मूल्य में धान की खरीदी 31 जनवरी तक किया गया था लेकिन समिति से धान का उठाव होने में देरी हुई जिसके चलते समिति में रखा धान भीगकर फंगस लग चुका है या फिर सड़ चुका है, वहीं प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति पिसीद के समिति प्रबंधक चंद्रभानु वर्मा का कहना है कि समिति में जाम पड़े धान को उठाव कराने के लिए उच्च अधिकारियों से मौखिक रूप से लगातार निवेदन किया गया था लेकिन शासन स्तर पर ही समिति से धान का उठाव होने में देरी हुआ जिसके चलते आज बर्बाद हो चुका है,,,,
प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति पिसीद का सूरत ए हाल देखकर ही आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इस समिति में कैसे धान की बर्बादी हुई है, साख समिति में गौर करने वाली बात है कि इसी समिति में ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रामप्रसाद वर्मा भी सदस्य है साथ ही क्षेत्र में कांग्रेस की विधायिका हैं जो संसदीय सचिव भी हैं ऐसे में सत्ता पक्ष के ब्लॉक अध्यक्ष होने के बावजूद समिति को गर्त में जाने से नहीं रोक पाए,, मामले में समिति के सदस्य रामप्रसाद वर्मा मामले को राजनीतिक रूप देते पुरा जिम्मा केंद्र सरकार पर थोपते नजर आए साथ ही उन्होंने कहा समिति को नुकशान नही होंगा जबकि प्रबंधक सहित उपाध्यक्ष लाखो का नुकशान बता रहा लेकिन सत्ता पक्ष मामले से पुरी तरह अनजान नजर आ रहा वही समिति के उपाध्यक्ष कृष्ण कुमार पटेल ने साफ तौर पर राज्य के भूपेश सरकार पर निशाना साधते कहे राज्य सरकार आज तक धान उठाओ नही कर पाया हैं जिसके चलते साख समिति को लाखो का नुकशान उठाना पड़ रहा हैं वर्तमान में स्थिति इतना चिंता जनक है की समिति के कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़ रहा है, ,,,
शासन के दबाव के चलते आनन फानन में शुरू किए धान खरीदी केंद्र प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति पिसीद वैसे तो साल 2012-13 से अस्तित्व में है लेकिन कांग्रेस की सरकार बनते ही छरछेद को नया प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति गठित कर दिया गया और पिसिद समिति की भूमि छरछेद कृषि समिति के हिस्से में चली गई जिसके बाद अधिकारियों के द्वार बिना तैयारी के आनन फानन में धान को रखने के लिए पक्का चबुतरा नहीं बनाया गया और खाली पड़ी जमीन पर धान खरीदी की शुरुआत कर दी गई, जिसका नतीजा यह रहा की बारिश होने के बाद खुले आसमान के नीचे पड़ा धान पड़ा रहा जमीन गिला होने के बाद नमी की वजह से धान सड़ने लग गया,और समिति में रखा लाखों का धान खराब हो गया।