जहां लगती है माओवादियों की जन अदालत वहां प्रशासनिक अधिकारियों ने ली बैठक
-तीन जिलों के प्रशासनिकअधिकारी पहुंचे, सुनी ग्रामीणों की समस्या।
ग्रामीणो बच्चो को खेल के जगत में आगे बढ़ने के लिए बाँटी खेल सामग्रियां
छत्तीसगढ़/कोंडागांव/ बस्तर/ जिन इलाकों में माओवादियों की जनअदालत आयोजित होती है। वहां रविवार को सुरक्षा बलों की मौजूदगी में तीन जिलों कोंडागांव बस्तर व नारायणपुर का प्रशासनिक अमला बड़ी संख्या में पहुंचा। हम बात कर रहे हैं जिले के घोर माओवादी इलाका माने जाने वाले ग्राम बेचा की जहां तक पहुंचने के लिए अब तक जिले से होकर कोई पक्की सड़क ही नहीं बन पाई है। बल्कि निकटवर्ती जिला नारायणपुर की सीमा से होते हुए यहां तक बारिश के दिनों को छोड़कर चार पहिया वाहन से पहुंचा जा सकता है। जिले का यह ऐसा पंचायत जहां तक पहुंचने के लिए दूसरे जिले की सीमा से होकर जाना होता है। और शायद यही वजह है कि,आज तक ग्राम पंचायत बेचा में प्रशासनिक अमलो का दल नहीं पहुंच पाया। रविवार को सुरक्षा बलों के एक आयोजन में तीन जिलों के प्रशासनिक अधिकारी यहां पहुंचे और ग्रामीणों की समस्याओं को सुन उनकी समस्याओं के जल्द निराकरण की बात कही। प्रशासनिक अमले के यहां पहुंचने से यह तो अब तय माना जा रहा है कि,आने वाले दिनों में इस इलाके का कायाकल्प हो सकेगा व ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाओं के लिए भटकना नहीं होगा, लेकिन अब देखना होगा कि, इस इलाके के लिए कब तक नई कार्ययोजना की खाखा खींची जाती है।
माओवादियों का गढ़ है यह इलाका-
ज्ञात ही कि, यह इलाका माओवादियों का गढ़ माना जाता है। शायद यही वजह रही होगी कि, इस इलाके में स्वीकृत हो चुके पुल पुलिया व सड़क का निर्माण अब तक नहीं हो पाया है और यह सरकारी फाइलों में दबती चली गई है। यहां सुरक्षाबलों के द्वारा ग्रामीणों को उनकी जरूरतों के सामान का वितरण किया। तो वही प्रशासनिक अमले ने इलाके में मूलभूत सुविधाओं को मुहैया करवाने कमर कसी है। इस दौरान बस्तर आईजी सुंदर राज्य कलेक्टर कुंडा गांव पुष्पेंद्र कुमार मीणा कलेक्टर बस्तर रजत बंसल एसपी नारायणपुर सहित अन्य अधिकारी कर्मचारी पहुचे थे।
समस्या समझने गांव घुमा अधिकारियों ने-
विभागीय अधिकारियों का एक दल गांव का भ्रमण कर ग्रामीणों की समस्याओं की वस्तु स्थिति जांची और उनकी समस्याओं से मौके पर रूबरू हुए। जिसमें पानी,सड़क,स्वास्थ्य सहित अन्य शामिल है।