जोड़ापोखर। धनबाद जिला चैम्बर ऑफ कॉमर्स के जिला अध्यक्ष, सचिव, एवं कोषाध्यक्ष पद का चुनाव होने जा रहा है। इसको लेकर फुसबंगला चेम्बर की कमेटी दो गुटों में बंट गया है और दोनों ही गुट अपने अपने गुट को असली चेम्बर कमिटी होने का दावा कर हैं। जबकि फुसबंगला चेम्बर के अध्यक्ष श्री अवधेश मिश्रा, एवं मो० वसीम ने संयुक्त रूप से कहा कि फुसबंगला चैम्बर ऑफ कॉमर्स में हमारी कमेटी ही असली है जिसकी मान्यता जिला चैम्बर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष श्री राजीव शर्मा एवं वर्तमान में चेतन गोयनका ने भी दिया है।
दोनों अध्यक्षों ने हमारी कमिटी को ही मान्यता दी है जिसका प्रमाण जिला कमेटी की होने वाले चुनाव में तीन वोटर अवधेश मिश्रा, मो० वसीम, एवं अरबिंद कुमार को वोट देने का अधिकार मिला है। श्री मिश्रा ने बताया कि 1नवम्बर 2023 को सुभाशीष राय को मनोनीत किया गया परन्तु जब वो अपनी मनमानी करने लगे तब 17 फरवरी 2024 को उसे पदमुक्त का दिया गया, उसके बाद से ही वो हम लोगों का विरोध करने लगे। रही सवाल इरफान की तो वो फुसबंगला चेम्बर का सदस्य ही नहीं है।
जबकि इस मामले में दूसरे गुट के इरफान खान का कहना है कि अवधेश मिश्रा की टीम ने 2014 में फुसबंगला चैंबर के गठण के बाद आगे की सत्र के लिए न तो कोई चुनाव किया और न ही कोई आम सभा कर पुरानी कमेटी का एक्सटेंसन लिया।
यही नहीं अवधेश मिश्रा चैंबर की सदस्यता शुल्क भी नहीं देते। इस अधार पर उनका अध्यक्ष होना तो दूर की बात वे साधारण सदस्य भी नहीं है। जिसे देखते हुए हमने आम सभा बुलाकर पुरानी कमेटी को भंग करते हुए दो माह के अंदर फुसबगंला चैंबर में चुनाव कराने का निर्णय लिया है। और यह सब काम बाकायदा आम सभा में मौजूद सदस्यों के बीच मिनिट्स बुक में दर्ज कर किया गया है जिसमें पुरानी कमेटी के पदाधिकारियों को भी बुलाया गया था लेकिन वे नहीं आए। इसलिए हमारी कमेटी को किसी भी रूप से अवैध नहीं कहा जा सकता।
इधर इस मामले को लेकर चैंबर में भीषण घमासान बना हुआ है और लोग दो गुटों में बंट गए है। एक गुट का कहना है कि जब इरफान खान की गुट का सारे दस्तावेज सही है तो फिर अवधेश मिश्रा के गुट को मान्यता देना किसी हाल में उचित नहीं है। कहा जा रहा है कि इरफान खान की गुट के मिनिट्स बुक में आज तक की हर कार्यवाही नियमानुसार दर्ज है साथ ही जिला चैंबर की सदस्यता शुल्क भी यही लोग जमा करते है। जबकि अवधेश मिश्रा वाली गुट द्वारा न तो खाताबही का संचालन किया जाता है और न ही जिला का शुल्क जमा किया जाता है।
इस आधार पर उनके गुट को मान्यता देना कहीं से भी उचित नहीं है। लेकिन जिला चैंबर के निवर्तमान अध्यक्ष चेतन गोयनका द्वारा सारे आधारों को नकारते हुए मिश्रा गुट को वोटाधिकार के लिए अनुशंसा कर दिए है जिससे जिला चैंबर में भूचाल मचा हुआ है।
जानकारों की माने तो जिले की 56 चैंबरों में लगभग दर्जन भर ऐसे चैंबर है जिसमें वर्षो से न तो कोई चुनाव होता है और न ही कोई गतिविधि होती है।
लेकिन चुनाव के समय मात्र एक पैड पर वोटाधिकार के लिए पदाधिकारियों की सूची जिला चैंबर को भेज दी जाती है। इस मामले में जिला चैंबर के पदाधिकारीगण वोट के लालच में इन फर्जी कमेटियों की अनियमितताओं को नजर अंदाज कर कमेटी को वोटाधिकार के लिए अनुशंसा कर देते है। कुछ मामले ऐसा भी है जिसमें जिला चुनाव के प्रत्याशियों द्वारा फर्जी कमेटियों का शुल्क भी अपने जेब से भर दिया जाता है।