धनबाद। देश की बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट की सात बेचों का फैसला एससी एसटी उपर गहरा असर पड़ने वाला है। एससी एसटी के आरक्षण बीच के बंटवारे तथा भारतीय जनता पार्टी नरेंद्र मोदी की सरकार की योजना के तहत उपवर्गीकरण के संबंध में दलित शोषण मुक्ति मंच के राष्ट्रीय सचिव शिव बालक पासवान ने सुप्रीम कोर्ट के सात बेंचों के फैसला पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि एससी एसटी के रिजर्वेशन के सवाल पर सुप्रीम कोर्ट के सात बेंचों के फैसले से आरक्षण के ऊपर प्रभाव पड़ेगा।
खास करके क्रीम लेयर के संबंध में जो सुप्रीम कोर्ट की समझ है। उससे लगता है की आने वाले दिनों में रिजर्वेशन, आरक्षण को दलितों, आदिवासी के बीच एक बंटवारे की स्थिति पैदा करने की साजिश है।
जिसमें भारत सरकार भाजपा की सरकार मुख्य रूप से इसके कैबिनेट का फैसला है उप -वर्गीकरण की जो समझ है वह बिल्कुल ही हित में नहीं है उप-वर्गीकरण करने का अगर किसी का अधिकार है वह है भारत के राष्ट्रपति के अधिकार के दायरे में जाता है क्योंकि किन जातियों के इन वर्गों के अंदर रखा जाए।
यह मूल रूप से भारत सरकार के राष्ट्रपति के अधीन सुनिश्चित है और सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह सात बेंचों ने एससी एसटी के आरक्षण के सवाल पर जो नजरिया रखे हैं इसमें एक एसी जसिटस वी आर वजई विचार,वह चिंताजनक है इस पर पूर्ण विचार करने की जरूरत है। वही स्वर्ण जातियों के बीच उप- वर्गीकरण की पर क्यों नहीं चर्चा और विश्लेषण की जाती है करनी चाहिए उप वर्गकरण में भी उतार और चढ़ाव विकास के आधार पर हैं।
दलित आदिवासियों के बीच आरक्षण के सवाल पर एक बंटवारे की समझ राष्ट्रहीत में नहीं, जो समाज में जातियां सामाजिक, आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ है उनके लिए सरकारी योजनाओं के तहत विकास के रास्ते से उसे देश के मुख्य धारा में जोड़ने की राजनीतिक जरुरत है जो राजनीति के इच्छा के घोर अभाव है।