पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडीने कहा,
“राज्य सरकार से एस आई टी गठित कर जांच कराने की की मांग,संथाल परगना में जनजाति संस्कृति खतरे में,लगातार घट रही जनजातियों की आबादी”
1951 से 2011के बीच मुस्लिम आबादी में हुई अप्रत्याशित वृद्धि
रांची \ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवम पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी आज संथाल परगना के दौरे पर उपराजधानी दुमका पहुंचे। हुल दिवस के अवसर पर उन्होंने हुल क्रांति के महानायक वीर शहीद सिदो कान्हु की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की।
श्री मरांडी ने कहा 1857के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के 2वर्ष पूर्व ही संथाल परगना की धरती से अमर शहीद सिदो कान्हु के नेतृत्व में अंग्रेजो के अत्याचार के खिलाफ हजारों जनजाति भाई बहनों ने संघर्ष किया,बलिदान दिए,जो हुल के नाम से प्रसिद्ध है।
उन्होंने कहा कि हुल के कारण ही आदिवासियों के जल जंगल जमीन और संस्कृति की रक्षा केलिए एस पी टी ,सीएनटी जैसे कानून बने।उन्होंने कहा कि आज संथाल परगना की संस्कृति खतरे में है।
श्री मरांडी ने आदिवासियों की तेज गति से घटती जनसंख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि 1951की जनगणना से लेकर 2011की जनगणना के बीच आबादी का विश्लेषण करें तो भयावह तथ्य उजागर होते हैं। 1951में आदिवासियों की आबादी 44.69%थी जो 2011 में 16%घटकर 28.11% हो गई। जबकि मुस्लिम आबादी इस बीच 9.44%से बढ़कर 22.73%हो गई। शेष समुदाय की आबादी 43%से बढ़कर 49%ही हुई।उन्होंने कहा कि अगर इसी प्रकार जनजाति समाज की आबादी घटती रही तो आजादी के 100साल और हुल आंदोलन के लगभग 200साल पूरा होते होते संथाल जनजाति समाज का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि संथाल परगना के साहेबगंज और पाकुड़ जिला की स्थिति तो बद से बदतर होती जा रही।
उन्होंने कहा कि जनजातियों के जल जंगल जमीन की सुरक्षा के कानून तो मौजूद हैं लेकिन उनका अस्तित्व पूरी तरह खतरे में है।उन्होंने राज्य सरकार से मांग किया कि इसकी जमीनी स्तर पर गहराई से जांच होनी चाहिए।श्री मरांडी ने राज्य सरकार से इस संबध में एस आई टी गठित कर जांच कराने की मांग की।