महाराष्ट्र सरकार का कानून धार्मिक आजादी पर हमला सेवा सिंह

प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री हस्तक्षेप कर भरोसा जीतें

सिंदरी । सिखों के पांच महान तत्वों में शुमार तख्त श्री हजूर साहिब अबचलनगर नांदेड, महाराष्ट्र के प्रबंधन को लेकर बनाए गए नए कानून की आलोचना अध्यक्ष सेवा सिंह नेकी है और इसे धार्मिक आजादी पर हमला बताया है।

उनके अनुसार तख्त के प्रबंधन पर काबिज होने के लिए 1956 कानून का संशोधन किया गयाहै। पहले महाराष्ट्र सरकार 7 सदस्यों को मनोनीत करती थी जिसे बढ़ाकर 12 कर दिया गया है। जबकि निर्वाचन क्षेत्र कर को घटाकर तीन कर दिया गया है। वही सिख सांसद शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अधिकारों में भी कटौती कर दी गई है। पहले वह चार सदस्यों को

बोर्ड के लिए भेजती थी जिसे घटाकर दो कर दिया गया है। वहीं नांदेड ऐतिहासिक स्थल का दान सिखों को हैदराबाद के निजाम ने दिया था और हैदराबादऔर सिकंदराबाद से भी एक प्रतिनिधि चुनकर आता था जिसे खत्म कर दिया गया है। सिख बुद्धिजीवियों की संस्था, चौफ खालसा दीवान, हजूरी खालसा दीवान और सिख पार्लियामेंट्री बोर्ड का प्रतिनिधित्व खत्म कर दिया गया है।

अध्यक्ष सेवा सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह एवं राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यदा इकबाल सिंह लालपुरा से इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है। नएकानून के अनुसार तख्त हजूर साहब प्रबंधन कमेटी का प्रबंधन एवं प्रशासन और 17 सदस्य करेंगे। जिसमें 12 सदस्यों का मनोनयन महाराष्ट्र सरकार करेगी और तीन सदस्यों का चुनाव

नांदेड के सिखों के बीच से होगा तथा दो सदस्य को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी मनोनीत करेगी। इस व्यवस्था से आप तय हो गया है कि महाराष्ट्र सरकार जिसे चाहेगी वहीं अब वहां का प्रेसिडेंट, महासचिव और अन्य पदाधिकारी बनेंगे।सरदार सेवा सिंह के अनुसार ऐसे फैसलों के कारण ही अल्पसंख्यकों का विश्वास भारतीय जनता पार्टी के प्रति जम नहीं पाता है। दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्यों के पाला बदलने के

कारण पहले ही सरकार एवं पार्टी पर आलोचकों को सवाल उठाने का मौका मिलता रहा है औरअब तख्त हजूर साहब प्रबंधन कानून 2024 ने सरकार एवं पार्टी के इरादों पर सवाल खड़ा कर दिया है। अब प्रधानमंत्री एवं भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व को सामने आकर इन विसंगतियों को सुधार करने तथा सिखों का विश्वास जीतने की जरूरत है।

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