धनबाद। हिंदू धर्म में दिवाली का विशेष महत्व है. इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इस दिन दीयों से अपने घरों को सजाते हैं और तरह-तरह के पकवान बनाते हैं और घर पर दिवाली पार्टी का आयोजन भी करते हैं. कई लोग इस दिन पटाखे जलाना पसंद करते हैं. लेकिन, पटाखों के कारण और प्रदूषण बढ़ जाता है. जिससे बच्चो और बुजुर्ग व्यक्ति के साथ विशेष बीमारी से ग्रस्त लोगों की समस्या बढ़ जाती है। त्योहार मनाने के साथ हमें यह भी ख्याल रखना चाहिए कि पटाखों के कारण हमारे आस पास के लोगों को कोई समस्या ना हो और त्योहार का आनंद उठाया जाय।
अधिकांश लोग दिवाली के दिन पटाखे जलाना पसंद करते हैं, लेकिन पटाखों से जहरीला धुआं निकलता है जो हवा को बहुत प्रदूषित कर देता है. ऐसे में हमें ग्रीन या पर्यावरण अनुकूल पटाखे खरीदने चाहिए.ग्रीन पटाखे बनाने में हानिकारक केमिकल का प्रयोग नहीं किया जाता. इनमें से कम धुआं निकलता है और शोर भी कम होता है. ग्रीन पटाखे खरीदकर हम पर्यावरण का ख्याल रख सकते हैं और दिवाली का आनंद भी उतना ही ले सकते हैं.
दिवाली के दौरान ज्यादातर पटाखों की आवाज 100 डेसीबल से अधिक होती है, जो किसी भी व्यक्ति के कानों के लिए हानिकारक होता है. इसलिए ध्वनि प्रदूषण फैलाने से बचना चाहिए. हमें कम शोर वाले पटाखे खरीदने चाहिए और उन्हें सीमित समय तक ही जलाना चाहिए. इससे हम दिवाली का आनंद ले सकते हैं और दूसरों को परेशानी भी नहीं होगी. देर रात तक पटाखें न जलाएं। इससे हमारे आसपास के लोगों को समस्या हो सकती है। दिवाली खुशियां और उत्सव मनाने का त्योहार है इसे सावधानी पूर्वक मनाया जाना चाहिए।.अगर आप ग्रीन पटाखे जलाते भी हैं तो उसके लिए समय निर्धारित करें. पूरी रात पटाखे न जलाएं. पूरी रात पटाखे जलाने की बजाय, शाम से लेकर रात 9 बजे तक ही पटाखे जलाएं. इसके बाद बच्चे और बुजुर्ग सोने चले जाते हैं, और पटाखों की आवाज से उन्हें परेशानी होती है. ऐसे में हमें अपनी खुशी के साथ-साथ दूसरों की परेशानी का भी ख्याल रखना चाहिए, और सही समय पर ही पटाखे जलाने चाहिए.
दिवाली के समय पटाखे जलते समय विशेष सावधानी की जरूरत होती है। बच्चो को अकेले पटाखा जलाने के लिए ना छोड़े। बच्चो के साथ बड़े हमेशा अपने सामने ही पटाखा जलाने दें। सावधानी हटने से दुर्घटना की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में सुरक्षा को प्राथमिकता दें।