बिहार औरंगाबाद से धर्मेन्द्र गुप्ता | गुरुवार को जिला मुख्यालय के सत्येंद्र नगर मुहल्ले में सिंहा कॉलेज के अवकाश प्राप्त प्रोफेसर डॉ सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह के आवास पर जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन औरंगाबाद के तत्वाधान में हिंदी दिवस धूमधाम से मनाई गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्था के अध्यक्ष डॉ0 सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह ने किया जबकि संचालन मीडिया प्रभारी सुरेश विद्यार्थी ने किया। कार्यक्रम का उद्घाटन दीप जलाकर किया गया। दो सत्रों में आयोजित कार्यक्रम के प्रथम सत्रं मैं हिंदी भाषा के विकास विषयक विचार गोष्ठी का विषय प्रवेश प्रवेश कवि एवं लेखक लवकुश प्रसाद सिंह ने किया। जनार्दन जलज अलख देव सिंह अनुज बेचैन ने हिंदी के विकास पर विस्तृत चर्चा की। वही धनंजय जयपुरी ने हिंदी के विकास के लिए बनावटी भाषा बोलने से बचना चाहिए। डॉ रामाधार सिंह ने कहा की हिंदी आज विश्व में अन्य भाषाओं को समकक्ष खड़ी है डॉ0सुरेंद्र प्रसाद मिश्र ने कहा कि हिंदी का आज वैश्विक स्वरूप सभी क्षेत्रों में अपनी छाप छोड़ी है ।हिंदी संस्कृत की बेटी है। सतीश कुमार मिश्रा, मुरलीधर पांडेय ने कहा कि हिंदी जन जन की भाषा है। डॉ शिवपूजन सिंह ने कहा कि पहले खड़ी बोली के रूप में बोली जाती थी आज भाषा का रूप ले ली है। अध्यक्षीय उद्बोधन में डा सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि हिंदी भाषा को राजभाषा से राष्ट्रभाषा बनाने के लिए हमें भागीरथी प्रयास करने की जरूरत है। हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए आत्म चिंतन की आवश्यकता है। कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवि सम्मेलन का संचालन वरिष्ठ कवि जनार्दन मिश्र जलज ने किया। काव्य पाठ करते हुए अनुज बेचैन ने कहा कि सबका नेह दुलार है हिंदी,सागर को गागर मैं भरने वाली हिंदी। प्रख्यात कवि जिला हिंदी साहित्य के महामंत्री धनंजय जयपुरी ने छंदोवद्ध काव्य पाठ करते हुए कहा कि संस्कृत है इसकी जननी अति मोहक काव्य रचावत हिंदी। विनय मामूली बुद्धि ने हिंदी दिवस पर काव्य पाठ करते हुए कहा कि हृदय भर भाव हर्षित हिंदी पांच भाषाओं की मां 17 बोलियों की दादी है हिंदी। प्रसिद्ध कवि नागेंद्र केसरी ने समसामयिक काव्य पाठ करते हुए कहा कि उमड घुमड कर आए बदरा लाए ना बौछार, रोहन अदरा बीत गए। डॉ रामाधार सिंह ने काव्य पाठ्य के क्रम में कहा कि हिंदुस्तान की गौरव गाथा है हिंदी, जन जन की भाषा हिंदी। सुरेश विद्यार्थी ने काव्य पाठ के क्रम में कहा कि ई हिंदी भाषा हई भारत मां के शान बबूआ। कार्यक्रम के अंत में हिंदी भाषा को राष्ट्रीय भाषा बनाने वास्ते प्रस्ताव पारित किया गया।