बिहार औरंगाबाद से धर्मेन्द्र गुप्ता
औरंगाबाद सांसद सुशील कुमार सिंह प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि बिहार सरकार के द्वारा भूमि अधिग्रहण में मुआवजे की राशि के निर्धारण में धोर अनियमितता की जा रही है।जमीन के कीमत निर्धारण में किसानो की हकमारी की जा रही है। राज्य सरकर की दोहरी नीति के कारण किसानो के साथ नाइंसाफी हो रही है। ना तो वर्तमान बाजार मूल्य के अनुसार मुआबजे का निर्धारण किया जा रहा है,ना ही सरकार के द्वारा खुद निर्धारित न्यूनतम कीमत जो जमीन की खरीद विक्री पर लागू किया जाता है, जिसके आधार पर सरकार राजस्व वसूल करती है, उसी का पालन किया जा रहा है।एक तरफ सर्किल रेट (MVR) लागू है, राजस्व वसूलने के मामले में,लेकिन वही जब अधिग्रहण के मामले में मुआवजा निर्धारण की बात होती है तो सरकार अपना ही न्यूनतम सर्किल रेट (MVR) भूल जाती है।दूसरा जिस गाँव में कुछ वर्षो से यदि खरीद बिक्री नहीं हुआ है।वहाँ बहुत पुराने बिक्री कागजात को आधार बनाकर वर्तमान बाजार मूल्य से कई गुणा कम निर्धारित करती है । जहां पहले से अधिग्रहित की जाने वाली जमीन का व्यवसायिक उपयोग हो रहा है, उस भूमि को भी कृषी योग्य बताकर अत्यंत कम दर निर्धारण करके किसानो की हकमारी की जा रही है ।
उदाहरणार्थ कुटुम्बा अंचल का एन. एच. 139 पर स्थित गाँव धनीबार है, जहां पेट्रोल पंप,राईस मिल आदि कई व्यावसायिक गतिविधियों के साथ एन. एच. 139 (पटना हरिहरगंज,पड़वा मोड़) और वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे का जंक्सन भी बनेगा। मैं मांग करता हूं कि बिहार सरकार किसानो की हकमारी बंद करे,उचित मुआवजा निर्धारित करे और किसानो के साथ न्याय करे।ताकि किसान अपने हक़ के लिए न्यायालय जाने को मजबूर न हो। सड़क निर्माण या किसी प्रकार का विकास बाधित ना हो।