दिल्ली / कोविड के कारण उपजे संकट के मद्देनजर भारत विदेशी मीडिया पर लगातार छाया हुआ है। ब्रिटेन का इंडिपेंडेंट हो या गार्जियन। चीन का ग्लोबल टाइम्स हो या फ्रांस का ली मॉण्दे। यहां तक कि नन्हे पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश का छोटा-सा अखबार न्यू एज-सब दिल्ली आदि शहरों के श्मशानों में धुधुआती चिताओं की तस्वीरें छापकर त्रासदी पर रिपोर्ट या टिप्पणियां छाप रहे हैं।फ्रेंच अखबार ली मॉण्दे ने अपने सम्पादकीय में लिखा है कि भारत की मौजूदा कोविड-त्रासदी के लिए दोषी बातों में कोरोना वाइरस की अप्रत्याशिता के अलावा जनता को बहला-फुसला कर रखने वाली सियासत और झूठी हेकड़ी भी शामिल है। अखबार ने अस्पतालों और श्मशानों के मंजर का चित्रण करते हुए लिखा है कि महामारी गरीब या अमीर किसी को नहीं बख्श रही। रोगियों के बोझ से चरमराते अस्पताल, गेट पर लगी एम्बुलेंसों की कतार और ऑक्सीजन के लिए गिड़गिड़ाते तीमारदार। ये ऐसे दृश्य हैं जो झूठ नहीं बोलते। फरवरी में जिस कोरोना का ग्राफ नीचे जा रहा था, उसकी लाइन अब लंबवत, खड़ी उठ रही है।