डेंगू व चिकनगुनिया की रोकथाम के लिए नगर निगम के वार्ड नं 7इलाके में नही हो रहा फॉगिंग
गया। जिला में डेंगू से बचाव के लिए फॉगिंग तथा छिड़कावा किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग शहरी क्षेत्रों में नगर निगम, नगर परिषद द्वारा छिड़काव की व्यवस्था की गयी है। जिला स्वास्थ्य समिति के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी नीलेश कुमार ने बताया कि जिलाधिकारी डॉ एसएम त्यागराजन के निर्देश के आलोक में स्वास्थ्य विभाग द्वारा डेंगू तथा चिकनगुनिया से बचाव के लिए जागरूकता लाने के साथ फॉगिंग भी कराया जा रहा है. मच्छरों के पनपने से रोकने तथा डेंगू बुखार के लक्षणों की जानकारी देने के लिए स्वास्थ्यकर्मी वार्ड पाषर्दों के साथ बैठक कर रहे हैं।
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ एमई हक ने बताया कि जिन जगहों पर एक सप्ताह से अधिक समय से पानी जमा है उन जगहों पर मच्छरों के लार्वा को पनपने से रोकने के लिए टेनेफॉस रसायन का छिड़काव कराया जा रहा है.श। इसके अलावा शाम के समय फॉगिंग कराया जा रहा है।जिन जगहों से डेंगू के मामले आ रहे हैं उन क्षेत्रों में फॉगिंग करवाया जा रहा है। अक्टूबर तक डेंगू का प्रकोप रहता है। नवंबर माह से इसका असर घटने लगता है।इस समय तक डेंगू को लेकर सर्तक रहने की बहुत अधिक जरूरत है।
सिर और जोड़ों में तेज दर्द है लक्षण के बारे में बताते हुए डॉ एमई हक ने बताया कि डेंगू और चिकनगुनिया की बीमारी संक्रमित एडिस मच्छर के काटने से होता है। यह मच्छर दिन में काटता है और स्थिर साफ पानी में पनपता है। डेंगू होने पर तेज बुखार के साथ बदन, सर और जोड़ों में दर्द और आंखों के पीछे दर्द होना, त्वचा पर लाल धब्बे एवं चकते के निशान होना, नाक एवं मसूढ़ों से या उल्टी के साथ खून बहना और काला पैखाना होना रोग के लक्षण हैं। डेंगू से बचाव के लिए पारासिटामोल ही सुरक्षित दवा है।मच्छरों से बचाव की एकमात्र उपाय की जानकारी डॉ एमई हक ने बताया कि डेंगू जैसी बीमारियों से बचाव के लिए सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल आवश्यक है।घर के सभी कमरों को साफ सुथरा और हवादार बनायें. टूटे—फूटे बर्तनों, कूलर, एसी, फ्रिज के पानी निकासी ट्रे, पानी की टंकी एंव घर के अंदर एवं अगल बगल में अन्य जगहों पर पानी नहीं जमा होने दें।