भुली। सावन माह में मिथिला में मधुश्रावणी पर्व नव वर वधु द्वारा मनाया जाने वाला पर्व है। शनिवार को मिथिलानियों ने धूमधाम से मधुश्रावणी पर्व मनाया। इस दिन सभी सुहागिन मिथिलानी व्रत रख कर अपने पति की लंबी उम्र की कामना भगवान शिव से करती हैं।
मधुश्रावणी पर्व नव वर वधु के लिए खास होता है। विवाह के पहले सावन में मधुश्रावणी पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। मधुश्रावणी पर्व मलमास के कारण इसबार 44 दिनों तक मनाया गया। सामान्यतः मधुश्रावणी पर्व 18 दिनों का ही होता है।
भुली सी ब्लॉक में भाजपा भुली मंडल के कोषाध्यक्ष इन्द्रकांत झा की पुत्री वसुंधरा झा ने अपने पति अवधेश झा के लिए मधुश्रावणी व्रत रखा।
मधुश्रावणी नव दंपति के लिए खास त्यौहार है जिसमे वर पक्ष व वधु पक्ष दोनों का सहयोग से मनाया जाता है।
भगवान शिव के साथ माता पार्वती की विशेष पूजा
मधुश्रावणी पर्व में भगवान शिव के साथ माता पार्वती की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। यह प्रकृति पूजा का पर्याय भी है इसमें पेंड पौधों के साथ वन्य जीव की भी पूजा विशेष तौर पर किया जाता है।
टेमी दागना है खास रिवाज
मधुश्रावणी पर्व में व्रती के घुटनो व पैर पर बाती जलाई जाती है जिसे टेमी दागना कहते हैं। जिसमे दुल्हन के पैर पर आने वाले छालों से पति का प्रेम व शुभ काल की गणना महिलाएं करती है। हालांकि गर्भ धारण करनी वाली दुल्हन के साथ टेमी दागने की प्रथा नही की जाती है।
नमक रहित लगता है भोग
मधुश्रावणी व्रत रखने वाली बिना नमक के भोजन करती है और भोग भी मीठा ही बनता है। इसमें खीर , खाजा , गाजा, पूड़ी लड्डू का भोग लगता है और मिथिलानी इसी भोग का सेवन करती हैं।