धनबाद। संसद में आज पेश किए गए युनियन बजट मे जहां खाद्य सुरक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य के क्षेत्र मे आवंटित किए जाने वाली राशि कम कर दी गई है वहीं आम जनता के लिए केवल बड़ी – बड़ी घोषणाएं की गई है. शिव बालक पासवान राज्य सदस्य सीपीआई (एम) ने बजट को लेकर कहा कि खाद्य सुरक्षा के अंतर्गत दिए जाने वाले अनुदान पर इस बजट में मात्र 90 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है जबकि पिछली बार के बजट में 2.86 लाख रुपये की सब्सिडी खाद्यान्न के लिए थी इस प्रकार इसमें 31 प्रतिशत की कटौती की गई है. इतना ही नहीं केंद्र सरकार ने बजट के पहले ही एन एफ एस ए के तहत गरीबों को अनुदानित दर पर मिलने वाले चावल और गेहुं की आपूर्ति पर रोक लगा दी है. किसानों को उर्वरक पर दी जाने वाली सब्सिडी में पचास हजार करोड़ रुपये की कटौती की गई है जिसका विपरित प्रभाव अनाज के उत्पादन पर पड़ेगा. ग्रामीण इलाकों में गरीबों को रोजगार प्रदान करने वाले मनरेगा के बजट में 33 प्रतिशत की कटौती यानि केवल 60 हजार करोड़ की ही राशि आवंटित किया जाना वित्तमंत्री का ग्रामीण गरीबों के साथ क्रूर मजाक है और यह इस स्कीम पर सीधा हमला है. मनरेगा मे मजदूरों का मार्च तक का बकाया ही करीब 25 हजार करोड़ रुपये हो जाएगा.
एकीकृत बाल विकास स्कीम के लिए बजट राशि मे मात्र 291 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की गई है और इस मद मे मात्र 17 हजार 2सौ करोड़ रू आवंटित किया गया है. आंगनबाड़ी कर्मियों के मानदेय में बढ़ोतरी और पेंशन के संबंध मे वित्तमंत्री ने कुछ नहीं कहा है जबकि कोरोना काल मे यह अग्रिम मोर्चे के कार्यकर्ता थे.
किसानों को एम एस पी मिले इसके संबंध मे इस बजट मे कुछ नहीं कहा गया है केवल हरित क्रांति की गोल – गोल बात की गई है. जबकि देश के किसान आंदोलन की यह एक प्रमुख मांग रही है. बढती बेरोजगारी और महंगाई से निपटने मे बजट का कोई विजन नजर नहीं आता है. साथ ही इस बजट मे देश के गरीब नौनिहालों, युवाओं, बुजुर्गों और महिलाओं के लिए कुछ नहीं है.