किसी भी अजनबी द्वारा दिये जा रहे मानसिक प्रलोभनों तथा भावनात्मक झाँसों से सतर्क रहें छात्राएँ- महिला थानाध्यक्ष

किसी भी अजनबी द्वारा दिये जा रहे मानसिक प्रलोभनों तथा भावनात्मक झाँसों से सतर्क रहें छात्राएँ- महिला थानाध्यक्ष

गया। गौतम बुद्ध महिला कॉलेज के सभागार में राष्ट्रीय बालिका दिवस के मद्देनज़र मगध प्रान्त की गायत्री महिला शाखा ‘भारत विकास परिषद’ की ओर से प्रधानाचार्य प्रो. जावैद अशरफ़ की अध्यक्षता एवं अंग्रेजी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी के समन्वयन में “साइबर क्राइम के कारण तथा सुरक्षा” विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया है। इस कार्यक्रम का शुभारंभ प्रधानाचार्य प्रो. अशरफ़ एवं भारत विकास परिषद की अध्यक्ष व कार्यक्रम संयोजक-सह-कॉलेज की पूर्व प्रधानाचार्य प्रो शांति सिंह, मुख्य अतिथि महिला थानाध्यक्ष रविरंजना, भाविप के मगध प्रांत के महासचिव मुकेश कुमार, ऐडवोकेट सुमन सुरभि, कार्यक्रम की संचालिका-सह-कॉलेज की पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो सुमन जैन, पूर्व इतिहास विभागाध्यक्ष प्रो इन्दुमति सिंह, पूर्व मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो कुसुम कुमारी, अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रो. उषा राय, प्रो. किश्वर जहाँ बेगम, नैक समन्वयक डॉ शगुफ्ता अंसारी एवं भारत विकास परिषद के अन्य गणमान्य सदस्यों ने सामूहिक रूप से दीप प्रज्वलन करके किया गया है। भारत माता एवं स्वामी विवेकानंद के चित्रों पर पुष्पांजलि तथा वन्दे मातरम् गायन के उपरांत प्रधानाचार्य प्रो. अशरफ़ ने सभी अतिथियों का स्वागत महाविद्यालय की शोध तथा सृजनात्मक पत्रिका “गरिमा” प्रदान करके किया गया है।इस विषय प्रवेश करते हुए डॉ शांति सिंह ने साइबर क्राइम के कारणों तथा उनसे सुरक्षित रहने हेतु विभिन्न सावधानियों से छात्राओं को अवगत कराया है। उन्होंने छात्राओं को भविष्य का धरोहर बताते हुए किसी भी अजनबी द्वारा दिये जा रहे मानसिक प्रलोभनों एवं भावात्मक झाँसों से सतर्क रहने का संदेश दिया गया है।प्रधानाचार्य प्रो. अशरफ़ ने छात्राओं को साइबर क्राइम से सुरक्षित रहने हेतु मनोवैज्ञानिक दृढ़ता से दृढ़ रहने की बात कही है। महिला थानाध्यक्ष रविरंजना एवं अधिवक्ता सुमन सिंह ने छात्राओं को सोशल मीडिया का उपयोग सावधानी और सतर्कता से करने की बात कही है। व्यक्तिगत जानकारी को विचार-विमर्श करके ही साझा करें। इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी ने अपनी स्वरचित कविता “बेखौफ़ बढ़ती हैं बेटियाँ” से उद्धृत “पथ पर शूल बिछे होते हैं, बहेलिए गड़ाए पैनी नज़र। गड्ढों से बचना नामुमकिन है, संभल कर न चल़ें अगर।। फिर भी निडर, निर्भय, बेखौफ़ बढ़ती हैं बेटियाँ। संघर्ष कर सफलताओं की सीढ़ियाँ चढ़ती हैं बेटियाँ” पंक्तियों के माध्यम से छात्राओं को सदैव ही सतर्क तथा चौकन्ना रहने को प्रेरित किया गया है। आगे कहा कि किसी भी तरह की समस्या आने पर छात्राएँ अपने माता-पिता, अभिभावकों, विश्वस्त शिक्षक-शिक्षिकाओं, महिला थाना एवं महिला ऐडवोकेट्स से सहयोग ले सकती हैं। इस कार्यक्रम का संचालन तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ.सुमन जैन ने किया है।इस कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ है। आज इस संगोष्ठी में प्रो. अफ्शाँ सुरैया, रेणु सिंह, अनामिका रंजन, मीरा सिंह, प्रभा त्रिवेदी, शकुंतला सिंह, डॉ. नगमा शादाब, प्रीति शेखर, सुधा कुमारी के साथ कॉलेज के शिक्षकेतर कर्मियों एवं अनेक छात्राओं की उपस्थिति रही है

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