उर्दू पत्रिका आलमी फलक का विमोचन

धनबाद। त्रैमासिक उर्दू पत्रिका आलमी फलक के नये अंक का विमोचन आज वासेपुर बाईपास स्थित किड्स कैम्पस में किया गया! पत्रिका के सम्पादक एवं शायर अहमद निसार ने बताया कि नये अंक 9-10 में भी पहले की भांति देश-विदेश के चोटी के कलमकारों की रचनाओं को शामिल किया गया है! इस अंक में फिकशन को हथियार बनाने वाले कथाकार शमोएल अहमद की अंतिम कहानी प्रोफेसर का हरम प्रकाशित हुइ है! शमोएल अहमद ने गत 25 दिसम्बर की सुबह दिल्ली में आखरी सांस ली! उनकी मौत से उर्दू साहित्य जगत को बड़ा नुकसान हुआ है, हम उनकी मगफिरत की दुआ करते हैं!
आलमी फलक एक बुक सीरीज है जिसमें 320 पृष्ट हैं इसमें दूसरी भाषा की रचनाओं का अनुवाद भी प्रकाशित किया जाता है जो इसे और लोकप्रिय बनाता है!
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे हाजी मो० हदीस ने कहा कि बच्चों को उर्दू भी पढ़़ना सिखायें नहीं तो तहज़ीब मिट जाएगी यही हमारी विरासत है, ग्यास अहमद गद्दी और इलियास अहमद गद्दी ने धनबाद का नाम उर्दू साहित्य से रौशन किया आलमी फलक जैसी पत्रिका निकाल कर अहमद निसार भी धनबाद की गरिमा बढ़ा रहे हैं!
तृणमूल कांग्रेस अल्पसंख्यक सेल के झारखण्ड अध्यक्ष मुख्तार अहमद ने कहा कि धनबाद से अंतर्राष्ट्रीय स्तर की पत्रिका निकालना आसान नहीं है अहमद निसार उर्दू की सच्चे मन से खिदमत कर रहे हैं, उर्दू ज़बान ही नहीं एक तहज़ीब है, सभी उर्दू दोस्तों को उर्दू की पत्र पत्रिकाओं को खरीद कर पढ़ना चाहिए ताकि उर्दू का विकास हो सके!
सैय्यद एनायतर्रहमान ने कहा आलमी फलक जैसी पत्रिका जो बुक सीरीज के रूप में है झारखंड से ऐसी पत्रिका पहली बार निकल रही है, रचनाओं और रचनाकारों का उत्तम चयन से अहमद निसार ने आलमी फलक को फ़लक तक पहुँचा दिया है!
मो० परवेज़ अख़्तर (पारो खान) ने कहा कि यह विडम्बना है कि झारखंड राज्य की स्थापना के 22 साल हो गये और उर्दू एकाडमी की स्थापना नहीं हुई, झारखंड में एकेडमी बनने से उर्दू के साथ दूसरी भाषाओं का विकास होगा!
हाजी जमीर ने कहा कि आलमी फलक के प्रकाशन से रचनाकारों में उत्साह है चूंकि यह साहित्यिक पत्रिका है इसे जारी रखने के लिए इसके खरिदार बनाने होंगे!
मौक़े पर मौलाना मुफ्ति शाहकार आलम क़ासमी, परवेज़ अंजुम, आफरीन फातमा, रुस्तम आलम, मो० अरबाज़ सोनू आदि उपस्थिति थे!

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