संवादाता तुषार शुक्ला
लखीमपुर खीरी। तीव्र फ्लैसिड पक्षाघात और वैक्सीन निवारक रोग निगरानी कार्यशाला के अंतर्गत एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन सीएमओ ऑफिस सभागार में किया गया। जिसकी अध्यक्षता सीएमओ डॉ. संतोष गुप्ता द्वारा की गई। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में समस्त सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के अधीक्षक शामिल हुए। यह कार्यक्रम स्वास्थ्य विभाग और डब्ल्यूएचओ के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित हुआ।सीएमओ डॉ. संतोष गुप्ता ने बताया कि एएफपी सर्विलेंस (एक्यूट फ्लैसिड पैरालिसिस) और वैक्सीन निवारक रोग निगरानी कार्यशाला आयोजन किया गया। जिसके अंतर्गत पोलियो, खसरे (खसरा), डिप्थीरिया (गलगोटू) और पर्टुसिस (काली खानसी) जैसी बीमारियों के लिए निगरानी में सुधार के लिए का कार्य किया जाएगा। यह एक दिवसीय कार्यशाला स्वास्थ्य विभाग और डब्ल्यूएचओ के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित हुई है। इसके अंतर्गत सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के अंतर्गत अभियान चलाकर पोलियो, मिजिल (खसरा), डिप्थीरिया (गलगोटू) और पर्ट्यूसिस (काली खांसी) जैसी बीमारियों के का चिन्हीकरण सुधार के लिए कार्य किया जाएगा। कार्यशाला का आयोजन सर्विलांस अभियान को युद्ध स्तर पर चलाए जाने को लेकर किया गया है। इसके अंतर्गत 15 वर्ष से कम आयु के उन बच्चों को खोजा जाएगा, जिनके शरीर के किसी भी अंग में अपंगता अर्थात पैरालिसिस के लक्षण हैं। इन्हें चिन्हित कर इनकी एएफपी की जांच कराई जाएगी और यह सुनिश्चित किया जाएगा इसका कारण क्या है साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि मिल रहे लक्षण आयुक्त मरीजों की कौन-कौन सी जांच करानी है, कब करानी है और उसे कहां भेजना है। कैसे भेजना है। कब भेजना है। अगर कोई भी पैरालिसिस का केस चिन्हित होता है तो उसे लेकर आगे क्या करना है। क्योंकि पड़ोसी कुछ देशों में पोलियो के कुछ केस निकले हैं जिससे भारत सहित उत्तर प्रदेश में भी सर्विलांस का काम किया जा रहा है और नेपाल का पड़ोसी होने के कारण हमारे जिले में सतर्कता और अधिक आवश्यक है हालांकि 2014 के बाद से पोलियो का कोई भी केस जिले में नहीं निकला है। इस दौरान जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. अनिल कुमार गुप्ता, डब्ल्यूएचओ एसएमओ डॉ विकास सिंह, डॉ. उज्जवल कांत, डिप्टी सीएमओ डॉ. लालजी पासी व डॉ. धनीराम भार्गव सहित यूनिसेफ डिस्टिक कोऑर्डिनेटर मुकेश चौहान व अन्य अधिकारी इस प्रशिक्षण में उपस्थित रहे।