मृदा को स्वस्थ रखने के लिए नैनो यूरिया (तरल) का इस्तेमाल करें : कर्ण

जमुई बिहार (चुन्ना कुमार दुबे) इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड (इफको) के क्षेत्रीय प्रबंधक विनय कुमार कर्ण ने स्थानीय होटल जेनेक्स ब्रिज के प्रशाल में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि अधिक पैदावार के साथ मृदा को स्वस्थ और स्वच्छ रखने के लिए नैनो यूरिया (तरल) का अधिकाधिक इस्तेमाल करें। उन्होंने आगे कहा कि इसके उपयोग से जहां मिट्टी की उर्वरा शक्ति कायम रहेगी वहीं पर्यावरण को प्रदूषित होने से भी बचाया जा सकता है।

श्री कर्ण ने कम लागत में अच्छी पैदावार के लिए नैनो यूरिया (तरल) के उपयोग पर बल देते हुए कहा कि एक बोटल में करीब एक एकड़ भूमि को इसके जरिए आच्छादित किया जा सकता है जो एक बोरा यूरिया के समतुल्य है। उन्होंने एक बोटल नैनो यूरिया (तरल) का मूल्य 240 रुपया बताते हुए कहा कि एक बोरा अनुदानित यूरिया का दाम 260 रुपया है। यदि अनुदान हटा दिया जाए तो इसका मूल्य 1400 रुपये से अधिक होता है।

क्षेत्रीय प्रबंधक श्री कर्ण ने यूरिया से खेतों को नुकसान होने की जानकारी देते हुए कहा कि इससे जहां उर्वरा शक्ति का क्षय होता है वहीं पौधा मात्र 30 प्रतिशत ही इसका नाइट्रोजन ग्रहण कर पाता है और बांकी 70 प्रतिशत बेकार चला जाता है जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है। उन्होंने नैनो यूरिया (तरल) की शक्ति का फसलों के द्वारा शत – प्रतिशत उपभोग किए जाने की जानकारी देते हुए कहा कि इसका उपयोग हर विंदु से लाभकारी है।

इफको के प्रतिनिधि भास्कर सिंह ने मौके पर कहा की नैनो यूरिया (तरल) के इस्तेमाल से देश को 90 हजार करोड़ रुपये का बचत होगा , जिससे राष्ट्र की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी। उन्होंने सम्बंधित राशि यूरिया के अनुदान के रूप में व्यय किए जाने की जानकारी देते हुए कहा कि नैनो यूरिया (तरल) का उपयोग करें और भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में सहयोग दें। समाजसेवी नंदलाल सिंह समेत कई जन संवाददाता सम्मेलन में उपस्थित थे।

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