बिपीन रावत नाम नहीं! दुश्मनों के लिये बगावत का पैगाम था! मौत का फरमान था!

समंदर ये तेरी ख़ामोशियाँ कुछ और कहती हैं
मगर साहिल में टूटी कश्तियाँ कुछ और कहती हैं!,,,,
मेरी आँखों ने देखें हैं शहर के कई और मंज़र!
मगर अख़बार की सुर्ख़ियाँ कुछ और कहती हैं??

धनबाद। झरिया (असलम अंसारी) देश के परिवेश में गम भरी खामोशी है! सबके लबों पर थरथराहट है !आने वाले कल में होने वाले बड़े हादसों की ये आहट है? बिपीन रावत नाम नहीं! दुश्मनों के लिये बगावत का पैगाम था! मौत का फरमान था! देश की आन बान शान था।आया है सो जायेगा राजा रंक फकीर! लेकिन रावत साहब का असमय जाना देश की सुरक्षा का पैमाना बदल दिया है !आज सारा देश रो रहा है! जांबाजी की मिसाल कायम करने वाले रावत साहब का नाम देश के इतिहास‌ मे शौर्य का प्रतीक बनकर सदियों सदियों तक कायम रहेगा!देश का प्रबुद्ध समाज आज मायूसी भरे अन्दाज में आवाज उठा रहा है।

क्या वास्तव में हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुआ? या किसी साजिश का शिकार हुआ! हादसा है,तो भी इसकी गहनता से जांच जरुरी है! साजिश है तो फर्दाफास जरूरी है। सेना में कोई गद्दार है तो सबक सिखाना जरुरी है।बिपिन रावत की जिंदगी में सी डी यस पर नियुक्ति के बाद से हलचल थी। उन पर राहु काल चल रहा था शनि की बक्र दृष्टी थी। तीनों सेनाओं के भीतर उनके खिलाफ बगावत की बारूद सुलग रही थी!उनके नाम से कई सेना के बड़े अफसरों को जलन थी।

उन्होंने सेना में अवैध हथियारों की खरीद फरोख्त, कमीशनखोरी, नियुक्तियों में मनचाही पोस्टिंग आदि में व्याप्त वर्षों पुराने सिंडिकेट को ध्वस्त किया था। उनका काम पूर्णता स्वातंत्र्य था!तभी वे सेना के तीनों विंगो में अपनी धाक जमाये हुये थे। उनका निर्णय सभी को इसलिए मान्य होता था कि उनकी पहुंच सीधे प्रधानमंत्री तक थी। डिफेंस में एन ए से अजित डोभाल के बाद वह दूसरे ऐसे अफसर थे जिन्हें पीएम पसंद करते थे।सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक, पी ओ के का ब्लूप्रिंट, पाकिस्तान-चीन के लिए अस्ट्रेटजी बनाने में वह रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से नहीं, बल्कि डायरेक्ट पीएम से डिस्कस करते थे। निश्चित रूप से उन्होंने सेना में बहुत सुधार किया।

तभी तो सेवानिवृत्त होने के बाद भी प्रधानमंत्री को उनकी सेवाएं चाहिए थीं ! इसलिए सी डी यस का ओहदा ईजाद हुआ जिसपर रावत साहब नियुक्त हुए,! नियुक्ति के वक्त भी विरोध हुआ था!,क्योंकि तब रैंक में उनसे भी कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। देश की सुरक्षा कमान सम्हालने वाले रावत साहब पर चीन काफी खफा था उसके रडार पर तो वो थे ही!पर अंदरूनी दुश्मन भी कम नहीं थे? चीन के पास मिलों दूर हवाई मारक क्षमता वाले स्टूमेंट हैं! कहीं साजिशन तो उनका हेलीकॉप्टर दुर्गम क्षेत्र कुन्नूर में नहीं गिराया गया?या फिर रूस निर्मित इसी एम आई 17 हेलीकॉप्टर में उड़ने से पहले अंदरूनी कुछ गडबडी की गईं?यह सवाल यक्ष प्रश्न बनकर लोगों के दिल दिमाग में कौंध रहा है ।

रावत साहब का असमय जाना देश की सुरक्षा के लिये काफी घातक साबित होगा! भारत की सुरक्षा व्यवस्था के मजबूत स्तम्भ बिपिन राव ‘अजीत डोभाल, दुश्मन देशों के रडार पर हमेशा रहे हैं। हेलिकाप्टर हादसे का शिकार हो गया या किसी साजिश का शिकार हो गया? इस पर देशवासी सच की तस्वीर को देखना चाहते हैं।हर देशवासी के दिल में रावत साहब की जांबाजी भरी चमकती वर्दी की तस्वीर जिसकी शान अभिमान पैदा करती थी!आज रोने को मजबूर कर रही है!आज आत्मा कराह‌ रही है!कलम थरथरा रही है!वेदना के अथाह सागर में डूबा दिल महाप्रयाण कर गये जांबाज दिलेर देशभक्ति की मिशाल कायम करने वाले बिपिन रावत साहब को न्यूज 12 भारत चैनल परिवार शत् शत् नमन करता है।
गमगीन है शहर मुहल्ला उदास है
सबको हंसाने वाला रुलाकर चला गया? विनम्र श्रद्धांजलि !!

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