देश व्यापी कोयला संकट के बीच हाफ रहे लघु -मध्य उद्योगों पर बंदी का खतरा ,बीसीसीएल पर सरकार की वक्र दृष्टि

धनबाद। झरिया। असलम अंसारी/ कोयला संकट के बीच पावर प्लांटों को कोयला भेजने के नाम पर कोल् इंडिया की अनुषंगी कंपनी ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड ने 11 अक्टूबर ’21 से रोड सेल से कोयला देना बंद कर दिया है. कंपनी के इस आदेश पर तीखी प्रतिक्रिया हुई है.

उद्योगपति अमितेष सहाय,केंद्रीय अध्यक्ष, व्यवसायिक प्रकोष्ठ ,झामुमो ने सवाल किया है कि उन सब उद्योगों का क्या होगा ,जो रोड सेल के माध्यम से कोयला लेकर अपना उद्योग-धंधा चलाते है विशेष कर मध्य और छोटे उद्योग , जिन्हे देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहा जाता है. देश में सबसे अधिक रोजगार देने वाले लघु ,मध्य और छोटे उद्योग के साथ लगातार खिलवाड़ किया जा रहा है. अब जब कोयला की आपूर्ति बंद कर दी गई तो इनका बंद होना तो तय है. उनका आरोप है की सबसे अधिक कोकिंग कोल देने वाली बीसीसीएल मे पिछले 6 वर्षों से एक स्थाई सीएमडी नहीं दिया गया.

अमितेश सहाय का कहना है कि यह सब सोची समझी प्लानिंग के तहत किया जा रहा है. मुनाफा देने वाली बीसीसीएल की आर्थिक हालत बिगाड़ कर निजी हाथो में देने की योजना पर सरकार काम कर रही है. उन्होंने ईसीएल व कोल इंडिया प्रबंधन से इस आदेश वापस लेने की मांग की है.

प्राइम कोकिंग कोल् वाली बीसीसीएल 6 बर्षों से बिना स्थाई सीएमडी के

इधर , देश व्यापी कोयला संकट के बीच कम से कम कोयलांचल में यह प्रश्न हवा में तेजी से तैर रहा है कि क्या सरकार कोयला कंपनियों के सुचारु संचालन में गंभीर है.यह प्रश्न इसलिए खड़ा हुआ है कि कोल् इंडिया की सबसे महत्वपूर्ण इकाई बीसीसीएल में पिछले 6 साल से स्थाई सीएमडी नहीं दिया गया है. देश के बेस्ट कोकिंग कोल् के स्टॉक वाली यह कंपनी प्रभार में ही चल रही है. लगता तो ऐसा है कि तत्कालीन सीएमडी टीके लाहिड़ी अपने साथ ही स्थाई सीएमडी की परिपाटी भी लेते गए है. 2015 में वे हटे , यह भी कहा जा सकता है की 2015 के बाद कोयला मंत्रालय बीसीसीएल पर ध्यान देना ही छोड़ दिया है. जानकर सूत्रों के अनुसार 2015 के बाद बीसीसीएल को दो स्थाई सीएमडी मिले लेकिन कतिपय कारणों से ठहर नहीं पाए. 2017 में अजय सिंह की नियुक्ति स्थाई सीएमडी के रूप में हुई लेकिन एक साल बाद ही उन्हें चलता कर दिया गया. इसके बाद सीसीएल के तत्कालीन सीएमडी गोपाल सिंह को बीसीसीएल का अतिरिक्त प्रभारी सीएमडी बनाया गया.
अब आगे क्या हुआ
2019 के मध्य में पीएम प्रसाद को बीसीसीएल का सीएमडी बनाया गया. इसके बाद एक बहुत ही नाटकीय घटनाक्रम में पीएम प्रसाद को सीसीएल में और सीसीएल के सीएमडी गोपाल सिंह का तबादला बीसीसीएल में कर दिया गया. वैसे गोपाल सिंह का तबादला स्थाई सीएमडी के पद पर हुआ था. लेकिन उनकी सेवा बहुत कम बची थी ,2021 के शुरुआती काल में ही वे रिटायर्ड हो गए.
डॉक्टर रणजीत रथ का मामला
इधर डॉक्टर रणजीत रथ का चयन बीसीसीएल के सीएमडी के पद पर हुआ लेकिन ज्वाइन करने से पहले ही शनि की वक्र दृष्टि पड़ गई और मामला ठंढे बस्ते में चला गया है.अब उनका चयन भी रद्द कर दिया गया है।अब पैनल के अन्य लोगो पर विचार की बात कही जा रही है.कोयलांचल के लोगो को केंद्र की मोदी सरकार का यह निर्णय पच नहीं रहा है और लोग अपने अपने ढ़ग से इसकी विवेचना कर रहे है तुलसीदास जी की एक पंक्ति है हरि अनंत हरि कथा अनंता ,कहहिं सुनहिं बहुविधि सब संता ।बस इतना समझ लीजिये …बीसीसीएल की अथ श्री कथा इतनी ही कि केंद्र इसे बीमार बनाकर निजी हाथों में बेचने पर आमादा है। और मजदूरों की राजनीति करने वाली ट्रेड यूनियन बस टुकुर टुकुर देख रहें है। उनके विरोध की आवाज़ को केंद्र ने अपनी ताक़त से ख़ामोश कर दिया है। अब तो इस देश मे लोकतांत्रिक तरीक़े से विरोध व आंदोलन को भी सरकार प्रतिरोध की नजऱ से देख रहीं है। घूम फ़िर कर हम वहीं पहुंच रहें है जहां ब्रिटिश काल में शोषण का साम्राज्य क़ायम हुआ था। 1973 में राष्ट्रीयकरण से पूर्व कोल सेक्टर निज़ी हाथों थी।

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