चार महीनों से वेतन भी बकाया,घर चलाने में हो रही परेशानी
झारखंड पोषण सखी प्रदेश अध्यक्ष सोनी पासवान तीन दिनों से है बीमार, बेहतर इलाज के लिए भी पैसे नहीं
धनबाद/(संवाददाता : विश्वजीत सिन्हा) झारखंड की पोषण सखियों का दर्द आज कोई नया नहीं है. जब से उनकी बहाली हुई है तब से उन्हें आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों को पढ़ाने से लेकर डोर टू डोर सर्वे टीकाकर व सभी कार्यों में अपना पूरा सहयोग दे रही है. कोरोना के संकट काल में भी पोषण सखियों ने टीकाकरण, डोर टू डोर सर्वे, कोरोनावायरस टीका दिलवाने में सरकार का पूरा सहयोग कर रही है इन सारे कार्यों के बदले जहां सेविका सहायिका को इंश्योरेंस की सुविधा दी गई है वही उन्हें अपनी जान जोखिम में डालने के बदले कोई इंश्योरेंस नहीं मिला है साथ ही 4 महीने का वेतन भुगतान भी नहीं किया गया है जिससे उनकी आर्थिक हालत बहुत खराब हो गई है. वेतन के बिना उनकी आर्थिक स्थिति बद से बदतर हो गई है. सोनी पासवान झारखंड पोषण सखी प्रदेश अध्यक्ष है जो विगत तीन दिनों से बीमार है. अस्पताल में भर्ती है. वेतन नहीं मिलने के कारण उनके पास इतने भी पैसे नहीं है कि वह अपना इलाज सही से करवा पाए उनके जैसी और भी पोषण सखी वेतन नहीं मिलने के कारण आर्थिक तंगी झेल रही हैं. पोषण सखियों की सरकार से यही मांग है कि उनके 4 महीने का वेतन दिया जाए और उनका वेतन भी जल्द से जल्द बढ़ाया जाए.एनएफ.सनद रहे कि संताल परगना आंगनबाड़ी कर्मचारी पोषण सखी संघ की महिलाओं ने विगत महीने दुमका के परिसदन में समाज कल्याण मंत्री डा. लुईस मरांडी से मिली और 5 सूत्री मांगों से संबंधित एक मांग पत्र सौंपा था। संघ के संरक्षक विजय कुमार के नेतृत्व में पोषण सखी संघ की महिलाओं ने मंत्री से मिली थीं। पोषण सखी की मांगों में वर्तमान समय में मानदेय 3000 रुपए भुगतान किया जा रहा है। उस मानदेय की बढ़ोतरी करते हुए 10 हजार रुपया करने, पोषण सखियों का ड्रेस कोड लागू करने, पोषण सखियों का स्वास्थ्य बीमा करने , विभाग के द्वारा रजिस्टर एवं अन्य सामग्री के हिसाब से उपलब्ध कराने की मांगे रखी थी। इस मांग के साथ संताल परगना के पोषण सखियों ने मंत्री से अपनी मांगों को रखते हुए ज्ञापन सौंपा था। परंतु आज तक उसका कोई निष्कर्ष नहीं निकला. इसी तरह पोषण सखियों ने धनबाद में भी झरिया विधायक के समक्ष मानदेय बढ़ोतरी की उठाई थी जिसपर झरिया विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह ने भी भरोसा दिलाया था पर उसका भी आज तक कोई फलाफल नहीं निकला.
पोषण सखी महिलाओं का रोना इस बात को लेकर है कि उनके साथ काम करने वाली साहिया और सेविका का भी वेतन ज्यादा है और इन्हें बीमा का लाभ भी मिल रहा है लेकिन उनका मानदेय भी कम है और बीमा का भी लाभ नहीं दिया जा रहा है. बता दें कि आंगनबाड़ी केंद्रों में सेविका को जहां 6 हजार 400 मानदेय मिलता है, वहीं सहायिका को 3 हजार 200 और पोषण सखी को 3 हजार प्रतिमाह मानदेय के रूप में दिया जाता है.