तीनों डॉक्टरों के खिलाफ धारा 304 एवं 34 भारतीय दंड विधान की तहत गैर इरादतन का मामला हुआ दर्ज

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बेमेतरा/छत्तीसगढ़/(छत्तीसगढ़ प्रतिनिधि अभिषेक शावल) नगर के निजी अस्पताल बेमेतरा हेल्थ सेंटर में डॉक्टरों के लापरवाही से नसबंदी के दौरान महिला की नस और अत डी काट देने के दौरान हुई मौत पर बेमेतरा सिटी कोतवाली में तीनों डॉक्टरों के खिलाफ धारा 304 एवं 34 भारतीय दंड विधान की तहत गैर इरादतन का मामला दर्ज हुआ है गौरतलब हो कि बेमेतरा जिला के नवागढ़ शासकीय अस्पताल में ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर के पद पर पदस्थ बुद्धेश्वर वर्मा जिनकी धर्मपत्नी डॉ नेहा वर्मा और उनके साथी वरुण ताम्रकार और प्रभु लाल चंदन बेमेतरा नया बस स्टैंड स्थित बेसरा हेल्थ केयर के नाम से संचालित अस्पताल में विगत लंबे समय से अपना समय दे रहे हैं और लोगों क इलाज कर रहे हैं वही समय-समय पर डॉ बुद्धेश्वर वर्मा भी उक्त अस्पताल में अपना समय देते हैं बता दें कि उक्त घटना विगत 1 वर्ष पूर्व हुई थी जब ग्राम गनियारी निवासी प्रमिला साहू पति खुमान साहू उम्र 25 वर्ष इलाज के लिए आए हुए थे तब ऑपरेशन के दौरान लापरवाही पूर्वक उक्त महिला को इस हालात में पहुंचा दिया था तब आनन-फानन में इन्हीं डॉक्टरों ने रायपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां स्थिति संभल नहीं पाई और वहां से फिर एक बार रायपुर के मेकाहारा में भर्ती कराया गया जहां इलाज के दौरान तो महिला की मौत हो गई वहां के डॉक्टरों ने स्पष्ट तौर पर कहा और अपने मेडिकल रिपोर्ट और पोस्टमार्टम में बताया कि स्थिति काफी बिगड़ चुकी थी महिला की मौत उसकी अतडी और पेट की झिल्ली के कट जाने जाने से blood infection और फेफड़ों में खून का रिसाव हो चुका था जिसके चलते उसकी मौत हो गई है पूरे परिवार वाले उक्त रिपोर्ट को लेकर थाना पहुंच मामला दर्ज कराया  घटना के तत्कालीन समय परिवार वालों के द्वारा उस समय भी बेमेतरा के जवाबदार अधिकारियों को दिया था उसके बाद मौके पर घटना को संज्ञान लेते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं जिला प्रशासन की संयुक्त टीम ने हेल्थ सेंटर पहुंचकर औपचारिकता निभाते हुए केवल हॉस्पिटल के ऑपरेशन थिएटर को ही सील किया और किसी पर कोई कार्यवाही नहीं की आखिर यह सब जानते हुए कि एक शासकीय डॉक्टर निजी नर्सिंग होम नहीं चला सकता और ना ही नसबंदी कर सकता है…. आखिर यह सवाल उठता है….? इसलापरवाही होने के बावजूद भी आज भी उक्त अस्पताल संचालित है ऐसा नहीं है कि जिले में है घटना पहली बार हो इसके पूर्व भी एक निजी अस्पताल में है एक मरीज को दूषित ब्लड लगा देने से झोलाछाप डॉक्टर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी एक तरफ राज शासन झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई के खिलाफ आदेश देती है वहीं जिला प्रशासन जिले में चल रहे अवैध तरीके से संचालित नर्सिंग होम पर कार्यवाही की बात कह कर हाथ में हाथ धरे बैठी है ऐसा नहीं है जिला के मुख्य चिकित्सा इस बात की जानकारी नहीं अधिकारी को यहां कितने अवैध तरीके से नर्सिंग होम संचालित है….




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