बिहार औरंगाबाद से धर्मेन्द्र गुप्ता
सोमवार को आभासी मंच पर यूट्यूब के माध्यम से “भारतीय मठ परंपरा: नव विमर्श” विषय पर वेबीनार का आयोजन किया गया l यह वेबीनार भारत अध्ययन केंद्र बनारस हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी सेंटर फॉर फिलोसॉफिकल स्टडी, हेरीटेज सोसायटी पटना एवं इतिहास विभाग सच्चिदानन्द सिन्हा महाविद्यालय औरंगाबाद के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित हुआ l इस आयोजन में यूट्यूब के माध्यम से कई प्रतिभागी जुड़े l इस वेबीनार में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ आनंद वर्धन (डिप्टी डीन) डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली ने भाग लिया l इन्होंने अपने संबोधन में महाभारत के कई बिंदुओं को उजागर किया l
उन्होंने बताया कि मठों को घटिका के नाम से भी जाना जाता है एवं दक्षिण के कुंभ कोणम की मठ शिक्षा की बात कही l मठ परंपरा का महत्वपूर्ण पक्ष है जो मनुष्य के शैक्षणिक एवं समता को समन्वय स्थापित किया है l कार्यक्रम की अध्यक्षता आचार्य प्रोफेसर विजय शंकर शुक्ला पूर्व रीजनल डायरेक्टर इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर द आर्ट मिनिस्ट्री ऑफ़ कलर गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया वाराणसी ने की l इन्होंने कल्याणमंडल, संगीत मंडप की चर्चा की l बिना मठ के भारत के शिक्षा परंपरा समृद्धि नहीं हो सकता है, बिना मठ क्षेत्र के मठ का अस्तित्व नहीं होता है l
मठ का चार स्तंभ का आपस में समन्वय होना चाहिए के बारे मे विस्तार से चर्चा की l स्वागत संबोधन प्रोफेसर सदाशिव द्विवेदी समन्वयक भारत अध्ययन केंद्र बनारस हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी ने की l कार्यक्रम के संयोजक डॉक्टर ज्ञानेंद्र नारायण राय, भारत अध्ययन केंद्र वाराणसी थे l कार्यक्रम का संचालन हेरीटेज सोसायटी पटना के महाप्रबंधक डॉक्टर अनंताशुतोष द्विवेदी ने की l इस संगोष्ठी का धन्यवाद ज्ञापन प्राचार्य प्रतिनिधि बहादुर भीम कुमार सिंह (विभागाध्यक्ष प्रबंधन विभाग) ने किया l इस वेबीनार में तकनीकी सहयोग प्रवीण दुबे (फार्मेसी विभाग) का रहा l
इस कार्यक्रम में अमित कुमार (प्रबंधन विभाग ),शशि कांत कुमार (पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग), मनीष कुमार (प्रबंधन विभाग), राकेश कुमार शामिल हुए l