किराया संशोधन को लेकर चलाया गया हस्ताक्षर अभियान जनता के सहयोग से सफल : आशीष सिंह सूर्यवंशी

0 Comments

धनबाद | धनबाद सिंदरी पैसेंजर ट्रेन परिचालन से लेकर किराया संशोधन अभियान चलाने वाले युवा सदन के सोशल मीडिया हेड आशीष सिंह सूर्यवंशी ने सिंदरी विधानसभा तथा आसपास के लोगों को धन्यवाद देते हुए लिखा है की किराया संशोधन को लेकर चलाया गया हस्ताक्षर अभियान जनता के सहयोग से सफल हुआ है। हाल ही में रेलवे बोर्ड ने पैसेंजर ट्रेनों का किराया 30 रूपये से घटाकर न्यूनतम 10 रूपये तय करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। गौरतलब है कि साल 2021 से ही आशीष के नेतृत्व में सिंदरी के युवाओं की एक टोली किराया कम करवाने के लिए धनबाद डीआरएम स्तर पर जद्दोजहद कर रही थी। धनबाद रेल मंडल के सीनियर डीसीएम अखिलेश पांडे ने आशीष के ज्ञापन के आलोक में हाजीपुर जोन भेजे गए पत्र की एक कॉपी अगस्त 2021 में पत्रांक संख्या: सं.सी.702/पीए/रिप 42/21ईसीआर सूचनार्थ प्रेषित किया था लेकिन डीआरएम लेवल से काम नहीं बना। “जागरण से बातचीत के दौरान आशीष ने अपने बयान में इस बात का जिक्र किया था कि अगर डीआरएम स्तर से सुनवाई नहीं होती है तो रेलवे बोर्ड तक जाएंगे”. तत्पश्चात 5 अप्रैल 2023 को दिल्ली पहुंचकर आशीष ने किराया कम करने के लिए रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को ज्ञापन समर्पित किया जिसके रेफरेंस में 6 जून, 2023 को रेलवे बोर्ड/रेल मंत्रालय ने पत्रांक एफ.नं.टीसी-ll/2910/2023/फेयर रेस्टोरेशन/एमआईएससी/1(3427239) के माध्यम से आशीष को जवाब भेजते हुए कहा था कि वह क्रमवार तरीके से पैसेंजर ट्रेनों का किराया संशोधित करेंगे। विगत 22 फरवरी को आशीष ने लगातार रेलवे बोर्ड पर दबाव बनाते हुए रेल मंत्री के ओएसडी को मेल किया था और फोन पर 3 मिनट तक किराए संशोधन को लेकर बात भी की थी। उपरोक्त अभियान में आशीष का समर्थन करने वाले युवा भी बेहद खुश हैं. पैसेंजर किराया संशोधन एवं परिचालन अभियान में 2021 से शामिल युवाओं की टोली में शामिल प्रदीप कर्मकार, प्राण गोप, अमरनाथ तिवारी, मोहित, करण, विवेक, सिद्धार्थ, आयुष सिंह सहित सभी युवाओं ने रेल मंत्रालय, रेलवे बोर्ड के प्रति धन्यवाद देते हुए कहां है कि रेलवे ने हमारा आधा कष्ट हर लिया क्योंकि हम सभी साधारण परिवार से हैं और सब्जी बेचने, मजदूरी करने, पढ़ाई लिखाई से लेकर अन्य कामकाज के लिए धनबाद प्रतिदिन जाना पड़ता है ऐसे में आवाजाही में प्रतिदिन 60 रूपये लग जाते थे जो पैकेट पर बहुत बड़ा बोझ था।

Categories:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *