कृषि सभी संस्कृति की जननी है, इसके बिना कोई संस्कृति नहीं बच सकती: राज्यपाल
रांची | राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा है कि कृषि सभी संस्कृति की जननी है और कृषि के बिना कोई भी संस्कृति नहीं बच सकती। डॉ एमएस स्वामीनाथन और चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न प्रदान कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि वैज्ञानिकों और किसानों को अभूतपूर्व सम्मान दिया है।
राज्यपाल सोमवार को बिरसा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित तीन दिवसीय एग्रोटेक किसान मेला के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मैं कई पीढियां से किसान रहा हूं और अबतक साल में 4 महीने धान की खेती करता रहा हूं। इसलिए कृषि और किसान से जुड़े कार्यक्रम में जाकर मैं अपने घर में अपने मूल स्वभाव में महसूस करता हूं।
उन्होंने आम के जापानी प्रभेद सहित अन्य उन्नत किस्मों को झारखंड में लगाने, क्षेत्र के लिए उनकी उपयुक्तता की जांच करने हेतु विशेष शोध प्रयास करने का सुझाव बीएयू को दिया। उन्होंने जोर दिया कि तमाम विफलताओं के बावजूद प्रयास नहीं छोड़ना चाहिए। अपने वरिष्ठ जनों को भी खरी सलाह देने में कोई संकोच या हिचक नहीं रखना चाहिए। कई बार पद ओहदा में छोटे लोग भी राष्ट्र, समाज और संस्था हित में बहुत नेक सलाह दे जाते हैं। पीएम किसान सम्मान निधि योजना और पीएम फसल बीमा योजना को उन्होंने किसानों के हित में क्रांतिकारी कदम बताया। राज्यपाल ने शोध प्रयासों और उपलब्धियों के लिए बीएयू की सराहना करते हुए परामर्श दिया कि किसानों के लिए विश्वविद्यालय में एक स्थाई परामर्श केंद्र प्रारंभ किया जाए जहां किसान बिना किसी अपॉइंटमेंट के वैज्ञानिकों से मिल सकें और कृषि संबंधी तकनीकी समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकें।
राज्यपाल ने जेनेटिक बीमारियों और एनिमल ब्रीडिंग से संबंधित डॉ नंदनी कुमारी की दो पुस्तकों, पशुपालन से संबंधित डॉ सुशील प्रसाद की एक पुस्तक तथा बिरसा किसान दैनंदिनी का लोकार्पण किया।
उन्होंने मेला में विभिन्न प्रदर्शनी के विजेताओं तथा राज्य के विभिन्न जिलों से आए 7 नवोन्मेषी कृषकों को सम्मानित भी किया, जिनमें कमल महतो, धनबाद, प्रदुमन महतो, गिरिडीह, निलेश कुमार, खूंटी, सोमराय मार्डी, सरायकेला खरसावां, , राजेश्वर महतो, रांची, चूड़ामणि यादव, सिमडेगा तथा पानी लागुरी, पश्चिमी सिंहभूम शामिल हैं। उद्यान प्रदर्शनी में फूलों के वर्ग में भारतीय विधिक माप विज्ञान संस्थान (आईआईएलएम), कांके को सर्वाधिक 6 तथा सब्जियों के वर्ग में होचर गांव (कांके) के रामकुमार साहू सर्वाधिक 5 पुरस्कार प्राप्त हुए।
कृषि सचिव अबूबकर सिद्दीकी ने वैज्ञानिकों से अपील की कि झारखंड के किसानों के लिए उनकी सामाजिक -आर्थिक परिस्थितियों, शैक्षणिक स्तर और सुविधागम्य प्रौद्योगिकी विकसित और अनुशंसित करें। कम लागत और बदलते मौसम में भी अच्छा प्रदर्शन करने वाली तकनीक पर कम करें।किसी भी नई प्रौद्योगिकी पर काम करते समय अपनी सोच प्रक्रिया में स्थानीय किसानों की परिस्थितियों का खयाल अवश्य रखें। उन्होंने कहा कि बीएयू को देश के एक अग्रणी विश्वविद्यालय के रूप में विकसित करने के लिए जिन सुविधाओं की भी आवश्यकता होगी, विभाग उसे प्रदान करेगा।आरम्भ में स्वागत भाषण करते हुए बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ सुनील चंद्र दुबे ने कहा कि तीन दिवसीय आयोजन में राज्य के सभी जिलों के किसान, कृषि उद्यमी और रांची के शहरी लोग बड़ी संख्या में आये। यह आयोजन शहरी बागवानी को प्रमोट करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। विश्वविद्यालय में आम पर शोध प्रयास बढ़ाया जाएगा।इस अवसर पर इंडियन इंस्टीट्यूट आफ सेकेंडरी एग्रीकल्चर, नामकुम के निदेशक डॉ अभिजीत कर तथा वन उत्पादकता संस्थान, रांची के निदेशक डॉ अमित पांडेय ने भी अपने विचार रखे। संचालन शशि सिंह ने किया।मेला में कुल 130 स्टाल लगाए गए थे जहां बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के विभिन्न इकाइयों, राज्य में अवस्थित आईसीएआर के संस्थानों, बीज एवं उर्वरकों के विक्रेताओं, बैंक एवं वित्तीय संस्थानों, स्वयंसेवी संगठनों, टाटा ग्रुप के रांची कैंसर संस्थान, नर्सरी प्रतिष्ठानों आदि ने अपनी प्रौद्योगिकी, उत्पाद एवं सेवाएं प्रदर्शित की थी। कृषि परामर्श सेवा केंद्र में तीनों दिन बड़ी संख्या में किसानों ने कृषि संबंधी अपनी समस्याएं और जिज्ञासा वैज्ञानिकों के समक्ष रखी तथा उनके समाधान हेतु तकनीकी परामर्श प्राप्त किया।