झरिया | दलित शोषण मुक्ति मंच के राष्ट्रीय सचिव शिव बालक पासवान ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि युसीजी अध्यक्ष ने बयान दिया है कि उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षण पदों पर सीटें आरक्षित करने का कोई निर्णय नहीं किया गया। यह बिल्कुल स्पष्ट है कि उन्होंने ऐसा उसे जानकारी के खिलाफ हंगामे के कारण किया जो प्राप्त हुई थी कि युजीसी वस्ताव में ऐसा करने का योजना बना रहा था ।
हालांकि इस फैसले को एक छोटी सी जीत के रूप में देखा जा सकता है लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि भाजपा केंद्र सरकार ओबीसी,एसी,एसटी, उम्मीदवारों को आरक्षण से वंचित करने के लिए अपनी पुरी शक्ति लगा दिया है इस साजिश को देश के वंचितों को गंभीरता से लेनी चाहिए। प्रशासनिक सेवाओं के उच्च क्षेत्र में पार्शव नियुक्तियां, शैक्षणिक संस्थानों और सार्वजनिक क्षेत्र के निगमों का निजीकरण और आरक्षित श्रेणियों के छात्रों को छात्रवृत्ति देने, यह सभी इसकी मनुवादी मान्यताओं के उदाहरण है यह कह सकते हैं की एसी,एसटी,ओ बी सी को गुलाम बनाने की साजिश रची जा रही है |
मुझे ऐसा प्रतीत होता है यह तीनों वर्णों को गुलाम बना लिया गया है क्योंकि इन वणों को धार्मिक राजनीति से जोड़कर बुनियादी मुद्दों से भड़काने की साजिश से, इस समाज को समझने की जरूरत है क्योंकि आजादी के 75 साल अंदर का अंतराल में ही इनको आरक्षण से पेट में दर्द हो रहा है। दलित शोषण मुक्ति मंच और अन्य संगठनों की ओर से अंबेडकर मिशन, खेत मजदूर यूनियन, इन कृत्यों की कड़ी निंदा करते हैं और समाज के वंचित वर्गों के लिए आधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए अपना संघर्ष जारी रखेंगे। अब तो जागो ओबीसी एससी एसटी,आने वाले दिनों में इसको लेकर एक व्यापक आंदोलन की तैयारी करें।