शक्ति संपन्न लोगों को चेतना सपन्न भी होना चाहिए


नई दिल्ली। त्रिवेणी कला संगम, मंडी हाउस में महारथी नामक यह नाटक का मंचन किया गया। यह नाटक कृष्ण और कर्ण के इर्दगिर्द घूमती है और अंत में कृष्ण कर्ण से कहते हैं कि यदि वह चाहता तो महाभारत का युद्ध रुक सकता था। कर्ण की शक्ति पर भरोसा करके ही दुर्योधन युद्ध में आया था। कृष्ण ने कर्ण को रोकने के लिए कई प्रयत्न किए। अंत में नाटककार कृष्ण के जरिए शक्ति संपन्न लोगों से कहलवाते हैं कि कृष्ण की चेतना और कर्ण का पराक्रम एक हो जाए तो महाभारत जैसे युद्ध रोके जा सकते हैं। किंतु पराक्रम संपन्न लोगों में शांति और न्याय के प्रति चेतना की कमी है।
नाटक का लेखन और निर्देशन विभा चौधरी ने किया था , संगीत रजनीश कुमार का था।


नाटक के माध्यम से यह बताया गया कि चेतना और पराक्रम अगर एक हो जाय तो दुनिया का कोई भी युद्ध रोका जा सकता है।
महारथी नाटक के कलाकार आयुष राय ने नाटक महारथी को लेकर बताया कि युद्ध समाप्त होने पर ही उसकी त्रासदी दिखती है। युद्ध से पूर्व पराक्रम और युद्ध के बाद चेतना की बात याद आती है जबकि चेतना और पराक्रम को एक साथ देखा जाय तो दुनिया के किसी भी युद्ध को रोका जा सकता है।

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