धनबाद। सामाजिक कार्यकर्ता सविता कुमारी ने संविधान दिवस के पूर्व संध्या पर अपना विचार प्रकट करते हुए कहा कि 26 नवंबर संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। 1949 को डॉ राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता वाले 299 सदस्यों द्वारा निर्मित भारतीय संविधान को स्वीकृत किया गया और 26 जनवरी 1950 को इसे लागू किया गया। भारतीय संविधान लिखित रूप में दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है। संविधान लागू होने के बाद कई बार इसमें संशोधन किया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार 2015 में 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप मनाने का एलान किया था। इसके पीछे यह विश्वास रहा है कि भारत का हर एक नागरिक अपने संविधान के प्रति सम्मान रखे और जागरूक नागरिक की भूमिका में राष्ट्र को मजबूत करे। पिछले आठ साल से 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जा रहा है। कहीं कहीं इसे राष्ट्रीय कानून दिवस के तौर पर भी मनाया जाता है।
हमारा संविधान हर नागरिक को समान मानते हुए कई अधिकार देता है। हम संविधान में दिए अधिकार की चर्चा अपने लाभ या हित के लिए तो जरूर करते हैं मगर दायित्व निर्वहन की चर्चा गौण हो जाती है। जरूरत है कि भारत का हर एक नागरिक अपने संविधान में वर्णित दायित्व का भी निर्वहन करे।
हमारे संविधान को लागू करने और इसके संशोधन का अधिकार और क्रियान्वयन का दायित्व सरकार बनाने के साथ सरकार के जिम्मे है और हम जनता को इसी सरकार को चूमने का अधिकार प्राप्त है। हम अपने राष्ट्र के विकास के लिए शांति और समृद्धि के लिए किस सरकार को चुने । इसके लिए संविधान में दिया गया वोट के अधिकार को बेहतर से समझने की जरूरत है।
हर एक नागरिक को अपने संविधान के प्रति सम्मान बनाए रखना होगा और संविधान की रक्षा के लिए हमे सही सरकारी को चूमना होगा। ऐसी सरकार जो संविधान के माध्यम से हमारी रक्षा करे, राष्ट्र को संबल प्रदान करे। विकास को पुष्ट करे। और जब हम ऐसा कर पाएंगे। तभी संविधान दिवस की सार्थकता सिद्ध होगी।