मृतक खुशी कुमारी के परिवारों को दलित शोषण मुक्ति मंच के झारखंड राज्ध्यक्ष शिव बालक पासवान कि मुलाकत

धनबाद | गोधर काली बस्ती जहां कुसुंडा क्षेत्र की एनजीके कोलियरी में संचालित यूसीसी इंफ्रा आउटसोर्सिंग परियोजना से निकले गर्म ओबी की चपेट में आकर पांच बच्चे झूलस गए थे। बीसीसीएल प्रबंधन युक्त परियोजना सुरक्षा नियमों एवं पर्यावरण कानून की धज्जियां उड़ाकर आज भी उत्पादन कर रही है।आज मृतक खुशी कुमारी के परिवारों से दलित शोषण मुक्ति मंच के झारखंड राज्ध्यक्ष शिव बालक पासवान,दलित शोषण मुक्ति मंच, जिला अध्यक्ष रामबालक धारी, धर्मराज धारी ,राहुल कुमार ने दौरा किया। दौरे के दौरान मृतक खुशी कुमारी के परिवार से तहकीकात करने पर जानकारी मिली की आउटसोर्सिंग या प्रबंधन के द्वारा मात्र 50000 का सहयोग कई किस्तों में दिया गया लेकिन प्रबंधन की ओर से कहा गया की डेढ़ लाख रुपया दिया गया। पीड़ित परिवारों को पूरा रुपया नहीं मिला बिचौलियों ने बंदर बांट कर लिया। वहीं उसकी मां पिता और नानी ने कहा कि अशर्फी हॉस्पिटल में लगभग चार लाख रुपए खर्च करने के बावजूद खुशी कुमारी नहीं बची, रानी कुमारी को तत्काल इलाज की जरूरत है ।

परंतु अभाव के कारण घर में पीड़ित है अन्य दो बच्चियों से भी मिले लेकिन उनकी हालत में सुधार है।बीसीसीएल प्रबंधन और आउटसोर्सिंग कंपनियों की पूरी जिम्मेदारी थी कि उन लोगों को इलाज करने का पुरा आर्थिक सहयोग दे लेकीन जरूरत महसूस नहीं किया गया। प्रबंधन से मिलकर भी और जानकारी लेने की मंच ने फैसला लिया है इस घटना को मानव अधिकार के समक्ष रखा जाएगा। गोधरकाली बस्ती तथा नई दिल्ली क्षेत्र की कुल आबादी 10000 से भी अधिक है लेकिन लोगों को जीविका का सरकारी योजना से लाभ उन्हें प्राप्त नहीं है। दुख इस बात का है कि इतने बड़े आबादी के लोगों को जेआरडी की ओर से सर्वे नहीं किया गया और जानकारी मिली की 20% लोगों को ही सरकारी राशन देने की व्यवस्था है और 80% लोगों का कोई राशन कार्ड नहीं है इस क्षेत्र में एक बेहतर स्कूल और आवास भी नहीं है जबकि कुछ हाफ किलोमीटर की दूरी पर बैंक मोड़ चकाचौंध है लेकिन इन बस्तियों में पीने का पानी तथा पर्याप्त बिजली की आपूर्ति नहीं होती है और और सर सफाई की कोई व्यवस्थाएं इन क्षेत्रों में नहीं है। इस क्षेत्र में अनुसूचित जाति (दलितों) की संख्या 90% है लेकिन सरकारी योजनाओं से चाहे विधवा पेंशन हो, वृद्धा पेंशन हो या विकलांग लोगों तक योजना लागू नहीं की गई है। दलित शोषण मुक्ति मंच के कार्यकर्ता बहुत जल्द इन क्षेत्रों का सर्वे करने का फैसला लिया है।

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