गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में जननायक कर्पूरी ठाकुर के विचारों और आदर्शों को जमीन पर उतारने की पहल की है और उनके सपनों को साकार करने की ओर कदम बढ़ाया है। इनके अथक प्रयत्नों से समाज के दलित, अतिपिछड़े, पिछड़े और अन्य कमजोर तबकों में आत्मविश्वास पैदा हुआ है। न्याय के साथ विकास के लक्ष्य पर पूरी निष्ठा के साथ चलते हुए इन्होंने न केवल जननायक कर्पूरी ठाकुर की समाजवादी दृष्टि को चरितार्थ किया, बल्कि उसे नया आयाम भी दिया। 2005 में शासन में आने के बाद अगले ही वर्ष 2006 में मुख्यमंत्री श नीतीश कुमार ने अतिपिछड़ा वर्ग आयोग का पहली बार गठन किया और अतिपिछड़ों के लिए 2006 में पंचायती राज तथा 2007 में नगर निकाय में आरक्षण का प्रावधान किया, अतिपिछड़ा वर्ग के विकास के लिए शिक्षा के क्षेत्र में मैट्रिक तक विद्यालय छात्रवृत्ति योजना, अत्यंत पिछड़ा वर्ग मेधावृत्ति
योजना, जननायक कर्पूरी ठाकुर कल्याण छात्रावास, मुख्यमंत्री पिछड़ा एवं अतिपिछड़ा वर्ग कौशल विकास योजना, छात्रावास अनुदान योजना तथा छात्रावासों में खाद्यान्न आपूर्ति आदि योजनाएं चल रही है।अतिपिछड़ों का नीतीश कुमार से बड़ा हिमायती कोई और नहीं। अवसरवादी और समाज में विभेद पैदा करने वाली ताकतों को मुंहतोड़ जवाब देने और बड़ा लक्ष्य पाने के लिए हमें अतिपिछड़ा समाज को अलग-अलग जातियों के रूप में नहीं बल्कि एक सामूहिक शक्ति के रूप में देखना होगा। कर्पूरी चर्चा के माध्यम से हमें अपनी सामाजिक एकजुटता और राजनीतिक जागरुकता का परिचय देते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विचारों और कार्यों को जन-जन तक पहुंचाना है और 2024 के लोकसभा एवं 2025 के विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक सफलता हासिल करने का संकल्प लेना है।