वनविभाग और ढिबरा माफिया में चल रहा चूहा बिल्ली का खेल,लाखो की ढिबरा हो रही तस्करी

त्रिभुवन कुमार |

गिरिडीह | तिसरी -देवरी प्रखंड के सीमा पर स्थित गोइनाथर ओर जवारी आदि कई गांव में ढिबरा माफिया काफी सक्रिय है। तिसरी जंगल क्षेत्र व झारखंड बिहार के सीमा के आस पास के जंगल से ढिबरा को एकत्रित कर डंप कर रात्रि में ट्रक में लोड कर गिरिडीह के फेक्ट्री में चतरो के रास्ते से भेजा जाता है। बता दे की तिसरी के जंगल से लें जाते चार ट्रेक्टर ढिबरा लदा जवारी गांव में पकड़ने की सूचना पर जवारी गांव तिसरी के मीडिया पड़ताल को पहुंची।स्थानीय ग्रामीणों ने कहा की चार ट्रेक्टर ढिबरा को पकड़ कर सादा लिबास में कुछ लोग छोड़ देने की बताई गई।ट्रेक्टर से ढिबरा कही डंप करवा कर छोड़ दिया गया।इस की पड़ताल के दौरान घसकारीडीह पंचायत के जवारी गांव में प्रेम हंसदा के घर पर, जीतन हेमब्रॉम ओर जवारी स्कूल के समीप टांड़ में भारी संख्या में ढिबरा का ढेर पाया गया।गोईनाथर गांव में इतवारी यादव के जमीन पर मुंशी सुरेश के देख रेख में ढिबरा कई स्थानों ढेर काफी मात्रा में रखा हुआ था।ग्रामीण सुरेश ने बताया की अलाउद्दीन का ढिबरा है।यहां जमा कर ट्रक से बाहर भेजा जाता है। वही जवारी गांव में डंप ढिबरा सुरेंद्र नामक व्यक्ति का बताया गया। कहा तिसरी के जंगल से ट्रेक्टर से ढिबरा यहां जमा होती है। ग्रामीणों ने बताया की जंगल से ढिबरा ट्रेक्टर से एकत्रित कर रात में ट्रक में लोड कर भेजा जाता है।पिछले माह को दर्जनों ट्रक ढिबरा का तस्करी की गई। ढिबरा माफिया का सेफ जोन बना तिसरी देवरी के सीमा पर स्थित चौकी, जवारी, गोइनाथर,तेतरिया, तिसरी प्रखंड के मनसाडीह पंचायत के टिकुलिया, कोचाकूली गांव के भोले भाले आदिवासी गांव में ढिबरा को डंप कर बेखौफ तस्करी माफिया करते है। गौरतलब हो कि कुछ दिन पूर्व चार ट्रेक्टर ढिबरा लदा वनविभाग के टीम ने जप्त कर नो लोगो पर वन अधिनियम के तहत मामला दर्ज की थी।ढिबरा माफिया और वनविभाग में चूहा बिल्ली का खेल खेला जा रहा है।जिसके कारण ढिबरा तस्करी थम नही रहा है।इस मामले मे रेंजर अनिल कुमार ने कहा की डंप की सूचना नही थी। ढिबरा की तस्करी के रोकथाम के लिए कार्रवाई की जाएगी।

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