रांची। विश्व आदिवासी दिवस के शुभ अवसर पर कुँड़ुख़ आदिवासी समाज में व्याप्त बुराईयों से निकलकर आगे बढ़ने की प्रेरणादायी वीडियो एलबम नाम कुँड़ुख़त रीझ-रंग म्यूजिक यूट्यूब चैनल पर सोमवार को रिलीज कर दी गई।गीत के रचनाकार संतोष टोप्पो ने खुद इस गीत को स्वर दिया हैं।इसकी रिकॉर्डिंग सुर-ताल डिजीटल स्टूडियो में रोहित केरकेट्टा (भांजा) द्वारा किया गया हैं। इसका संगीत रीझ-रंग ग्रुप (मामा-भांजा) द्वारा दिया गया हैं। इसकी शूटिंग धनबाद के आसपास की गई हैं।यह वीडियो एलबम समाज के लिए आईना दिखाने का काम करेगा।पिछले माह वर्षा ऋतु पर आधारित कुँड़ुख़ वीडियो एलबम ‘पहिल बरसा बरेचा’ रिलीज हुई,जिसे दर्शकों ने खूब प्यार दिया।पूर्व में ‘पत्थलगांव जिला’, ‘उल्ला बीरी ददा-ददा’, ‘ढुकू बेंजा’, ‘एका लेक्खे एड़पानू’, ‘प्यार अंबेरना बेड़ा’, ‘संगी एंगहै प्यार’, ‘बेंजा चन्दो’, ‘संगी ओ संगी’, ‘जुगनी’, ‘निंगहैं एंगहै झम्म जोड़ी’ आदि सुपरहिट एलबम रांची, राउरकेला, रायगढ़ के म्यूजिक कंपनियों से रिलीज हुए हैं।
वीडियो एलबम के निर्देशक एवं कांग्रेस कला संस्कृति धनबाद जिलाध्यक्ष सफाउल हक अंसारी बताते हैं कि संतोष टोप्पो छत्तीसगढ़ के लैलूंगा विकासखंड के पूर्व दिशा,उड़ीसा राज्य सीमा में स्थित ग्राम सोनाजोरी (बाईरडीह) के निवासी हैं। विद्यार्थी जीवन से ही उन्हें संगीत में रूचि थी।वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य के धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र दन्तेवाड़ा जिले में समाज कल्याण विभाग के जिला अधिकारी का दायित्व संभाल रहे हैं।सामाजिक गतिविधियों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने वाले संतोष को तब तक संतोष नहीं मिलती,जब तक वे समाज के कल्याण के लिए कार्य न करें। विभागीय योजनाओं के क्रियान्वयन की जानकारी उनके वाट्सअप स्टेटस एवं फेसबुक आईडी में आये दिन देखने को मिलता रहता है। भले ही उनका जन्म अशिक्षित परिवार में हुआ हो, लेकिन उनकी लगन एवं मेहनत और उच्च विचार धारा ने उन्हें समाज शास्त्र विषय में स्नातकोत्तर पश्चात् आईएसबीएम विश्वविद्यालय,छत्तीसगढ़ में शोध छात्र (पीएचडी स्कॉलर) बनने मजबूर किया।वर्तमान में अपने विभागीय दायित्वों के साथ-साथ शोध कार्य भी कर रहे हैं।